Maharajganj LIVE: नेशनल हाइवे के अधिशासी अभियंता मणिकांत अग्रवाल कह कुछ रहे हैं और हो कुछ रहा है?

जनप्रतिनिधियों के द्वारा ठेकेदार को दिये गये अघोषित संरक्षण के बीच डाइनामाइट न्यूज़ ने नेशनल हाइवे के अधिशासी अभियंता मणिकांत अग्रवाल से बात की। इस दौरान उनकी कहीं बातों और मौका-ए-वारदात पर ढ़ाये जा रहे जुल्म में भयानक विरोधाभास सामने आया। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 7 September 2019, 4:39 PM IST
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महराजगंज: नेशनल हाइवे 730 के निर्माण के दौरान किलोमीटर 485 से 505 तक के निर्माण में मची भयंकर अराजकता और धांधली के बारे में डाइनामाइट न्यूज़ ने नेशनल हाइवे के संबंधित अधिशासी अभियंता मणिकांत अग्रवाल से फोन पर बात की।

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किस अधिकार से नंबर की जमीन को अवैध अतिक्रमण बता रहे हैं?
इस बातचीत में निकलकर आया कि अग्रवाल कह कुछ रहे हैं और हकीकत में हो कुछ और रहा है? डाइनामाइट न्यूज़ ने जब पूछा कि आपको यह अधिकार किसने दिया कि आप बिना मुआवजे के किसी के नंबर वाले, मकान दुकान को तोड़ देंगे तो साहब ने जवाब दिया कि ऐसा कतई नहीं होगा, हम सिर्फ सरकारी जमीनों पर से कब्जा हटायेंगे। यदि हमारे पास 16-16 मीटर जमीन नही होगी तो हम किसी की निजी जमीन को हाथ नहीं लगायेंगे। यदि जमीन नही होगी तो हम रिपोर्ट भेजेंगे कि भूमि उपलब्ध नही है। भूमि उपलब्ध कराना सरकार का काम है, हमारा नहीं। 

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सीमांकन और चिन्हांकन का मतलब नहीं हम मचायेंगे जबरन तोड़फोड़ 
अग्रवाल ने कहा कि सीमांकन और चिन्हांकन का मतलब यह नही है कि हम तोड़फोड़ करेंगे। मानक के अनुसार भूमि होने पर ही तोड़ा जायेगा। जब यह सवाल पूछा गया कि क्या ठेकेदार ने लाउडस्पीकर से 16-16 मीटर स्वयं तोड़ने का प्रचार नियमानुसार कराया है, क्या उनको अधिकार है इस तरह का ऐलान करने का? क्या संवैधानिक नियम-कायदों का पालन कराया जा रहा है तो इसके जवाब में अधिशासी अभियंता ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे नही है, मैं दिखवाता हूं।  

सता रहा है गर्दन फंसने का डर
जब डाइनामाइट न्यूज़ ने सारे मामले की जमीनी पड़ताल की तो पाया कि नियम-कानून के आगे इंजीनियर से लेकर सभी को अपनी गर्दन फंसने का साफ डर सता है। इनका मकसद साफ है दहशत इतनी फैला दो कि कोई भी मुंह न खोल पाये और डर के मारे सभी खुद-ब-खुद अपना आशियाना तोड़ लें। कई मकान ऐसे हैं जिनके पास कोर्ट से स्टे है फिर भी उनकी कोई सुनने को तैयार ही नहीं। ठेकेदार से लेकर इंजीनियर तक मौके से नदाराद हैं, कोई अपनी जायज बात कहे तो कहे किससे? कोई अपने वैध कागजात दिखाये तो दिखाये किसे?

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जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भारी गुस्सा 
सबसे भारी गुस्सा आम जनता का जनप्रतिनिधियों के खिलाफ है.. स्थानीय लोगों ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा कि क्या जनप्रतिनिधियों और ठेकेदार के बीच कोई सांठगांठ हो गयी है? क्या कारण है कि जनप्रतिनिधि मुख्य चौराहे पर आकर जनता का सामना करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं?