महराजगंज: मगरमच्छों का प्रजनन केंद्र बना दर्जनिया ताल, पर्यटकों के लिये सुविधाओं का भारी अभाव

डीएन संवाददाता

भारत-नेपाल सीमा के करीब स्थित दर्जनिया ताल को पिछले साल सरकार द्वारा पर्यटक स्थल का दर्जा दे दिया गया लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण यहा कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। मगरमच्छों का यह आकर्षण केंद्र कई समस्याओं से जूझ रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



महराजगंज: जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दर्जनिया ताल को एक साल पहले ही सरकार ने पर्यटक स्थल के रूप में घोषित किया, लेकिन इस छोटे से समयावधि में ही यह पर्यटक स्थल सरकारी उपेक्षा का शिकार होने लगा है। निचलौल थाना क्षेत्र के अन्तर्गत भारत-नेपाल सीमा के करीब स्थित दर्जनिया ताल नियमित सफाई के अभाव में जलकुम्भी से ढ़क गया है। इसके अलावा यहां पर्यटकों के लिये समुचित सुविधाओं का भारी अभाव है। 

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ठंड में सैलानियों की बढ़ती है सँख्या

दर्जनिया ताल में मगरमच्छों का संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मौजूदा समय में यहां लगभग 350 मगरमच्छ है, जो यहां के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इन्हीं मगरमच्छों को देखने के लिये यहाँ दूर-दूर से सैलानी घूमने आते हैं। हालांकि अन्य मौसम की अपेक्षा यहां ठंड में सैलानियों की सँख्या बढ़ जाती है।

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मगरमच्छों का प्रजनन केंद्र

नारायणी नदी से निकल कर पश्चिमी नहर के रास्ते दर्जनिया ताल  पहुंचे मगरमच्छों ने अब यहां अपना स्थाई बसेरा बना लिया है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यहां उनकी वंश वृद्धि तेजी से हो रही है। आए दिन मगरमच्छों के बच्चों के देखे जाने से यह साबित हो गया है कि दर्जनिया ताल मगरमच्छों का प्रजनन केंद्र बन गया है। वन विभाग इसका मुख्य कारण ताल का सुरक्षित एवं संरक्षित होना मान रहा है। मछलियों के शिकार पर रोक लगने से मगरमच्छों का यहां सम्पूर्ण व सुरक्षित आहार मिल जाता है। वहीं चारों ओर जंगल से घिरे होने के कारण यह ताल इनके लिए काफी सुरक्षित है। सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत बना दर्जनिया ताल मगरमच्छों को भा गया है।

 

 

सुविधाओं का बड़ा अभाव

पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण यह जगह इसके बावजूद भी विकास की राह देख रहा है। यहां जितनी संख्या में पर्यटन और सैलानी प्रतिवर्ष पहुंचते है उसके अनुपात में यहां सुविधाओं का बड़ा अभाव दिखता है। ताल तक जाने के लिए कहीं कोई स्वागत बोर्ड या सूचना बोर्ड तक नहीं है, जिस कारण जानकारी के अभाव में पर्यटकों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। ताल तक जाने के लिए भी यहां कोई पक्की सड़क तक नहीं बनी है। इसके अलावा खान-पान की समुचित व्यवस्था की भी भारी कमी दिखती है। 

चारों तरफ जंगल होने के बावजूद भी सरकार द्वारा यहां सुरक्षा के जरूरी उपाय तक नहीं किये गये है। भारी संख्या में आने वाले सैलानियों की सुरक्षा व्यवस्था में केवल 2 गार्ड यहां मौजूद रहते हैं। 

जलकुम्भी से ढ़का तालाब

कई बार मगरमच्छ जंगल से सटे गांवों में बने तालाब अथवा गड्ढों में भी पहुंच जाते हैं जिससे ग्रामीण भयभीत रहने लगे हैं। ताल के किनारे पर तारों की बेड़िया भी नहीं लगायी गयी हैं जो सैलानियों की सुरक्षा के लिये सबसे बड़ी चुनौती है। ताल में नियमित सफाई नही होने से ताल पूरी तरह जलकुम्भी से ढक गया है।
 










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