Uttar Pradesh: गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस के खिलाफ मदरसा बोर्ड का बड़ा बयान, कोर्ट जायेगी जमीयत

उत्तर प्रदेश में 16513 मदरसे राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। उनमें से 560 को सरकारी अनुदान मिलता है। इसके अलावा राज्य में 8449 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे भी चल रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 25 October 2023, 6:07 PM IST
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लखनऊ: बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस भेजे जाने पर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए इस 'अवैध' कार्रवाई बताया है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा है कि वह बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा उठाये गये इस कदम को अदालत में चुनौती देगी।

बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने बुधवार को एक बयान जारी कर बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मुजफ्फरनगर, अमेठी और कौशांबी समेत कई जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस भेजे जाने और उनके संचालन के आधार के बारे में पूछे जाने का विरोध किया है।

उन्होंने कहा है कि मदरसों के निरीक्षण का अधिकार सिर्फ अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को है और बेसिक शिक्षा विभाग की दखलंदाजी से मदरसों में असहज स्थिति पैदा हो रही है।

मुजफ्फरनगर में बेसिक शिक्षा विभाग ने हाल में कुछ शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए लगभग 12 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस भेज कर उनसे पूछा है कि आखिर बिना पंजीकरण कराए वे किस आधार पर संस्थान चला रहे हैं। नोटिस में यह भी कहा गया है कि अगर मदरसे जवाब नहीं देते हैं तो उन पर प्रतिदिन 10 हजार रुपए के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।

इस बीच, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मदरसों को नोटिस भेजने के बेसिक शिक्षा विभाग के कदम को गैरकानूनी बताते हुए इसे अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है।

संगठन के विधिक सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि नोटिस में नि:शुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 का हवाला देते हुए मदरसों से उनके संचालन का आधार पूछा गया है, जबकि हकीकत यह है कि गुरुकुल और मदरसों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है, ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग किस हैसियत से मदरसों को नोटिस जारी कर रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब मदरसों को परेशान करने के लिये किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद मदरसों को अवैध रूप से नोटिस जारी किये जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटायेगी।

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष जावेद ने मदरसों को जारी नोटिस को 'अवैध' करार देते हुए कहा, 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004/विनियमवाली 2016 में दी गयी व्यवस्था के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा न तो निरीक्षण किया जाएगा और न ही किसी प्रकार की नोटिस दी जाएगी।'

उन्होंने कहा कि सिर्फ मुजफ्फरनगर ही नहीं बल्कि अमेठी, कौशांबी और श्रावस्ती समेत कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सक्षम अधिकारी नहीं होने के बावजूद नियमों से हट कर मदरसों को नोटिस जारी की है और कई मदरसों का निरीक्षण भी किया है उन्होंने कहा कि यह गैर कानूनी है।

जावेद ने कहा कि 1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के गठन के बाद मदरसों का सारा काम अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया है, ऐसे में अन्य विभागों की दखलअंदाजी गलत है।

उत्तर प्रदेश में 16513 मदरसे राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। उनमें से 560 को सरकारी अनुदान मिलता है। इसके अलावा राज्य में 8449 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे भी चल रहे हैं।

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