कुशीनगर: ख़िरखिया के प्राचीन दुर्गा माता मंदिर का होगा उद्धार, क्षेत्र में होगा पर्यटन का विकास

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पडरौना क्षेत्र स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर और शिव मंदिर के विकास के लिए शासन ने वित्तीय स्वीकृति दी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पडरौना के प्राचीन खिरकिया माता मंदिर का होगा उद्धार
पडरौना के प्राचीन खिरकिया माता मंदिर का होगा उद्धार


कुशीनगर: जनपद  के पडरौना क्षेत्र के ख़िरखिया स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर और शिव मंदिर के विकास के लिए वित्तीय स्वीकृति मिल गई है। इस कार्य के लिए शासन ने एक करोड़ दो लाख आठ हजार रुपये की राशि खर्च स्वीकृति की है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार ख़िरखिया में झरही नदी के किनारे प्राचीन खिरकिया माता मंदिर है। इसी परिसर में साथ में शिव मंदिर भी है। यहां पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है, लेकिन नवरात्र में यहां भीड़ बढ़ जाती है। यहां बिहार तक के श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इसके पौराणिक एवं धार्मिक महत्व को देखते हुए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।

जानकारी के अनुसार शासन ने पहली किस्त के रूप में 75 हजार रुपये आवंटित कर दिया हैं।

पडरौना जटहां मुख्य मार्ग पर ऐतिहासिक झरही नदी के तट पर स्थापित मां भगवती की महिमा निराली है। यहां बारहों माह झरही नदी के किनारे 1।44 एकड़ के विशाल परिसर में सैकड़ों वर्ष पूर्व स्थापित मां दुर्गा के मुख्य मंदिर के अलावा राम भक्त हनुमान व त्रिकालदर्शी भगवान शंकर का आकर्षक मंदिर भी है।

यहाँ स्थापित हवन कुंड में वर्ष पर्यंत हवन पूजन होते रहते हैं। सुदूर क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं के सुविधा व ठहरने के लिए धर्मशाला भी है। मंदिर में स्थापित मूर्ति के पूर्व माँ भगवती पहले पिंडी के रूप में विराजमान थी। 

मान्यता व किंवदन्तियों के अनुसार विभिन्न शक्तिपीठों में महत्वपूर्ण इस पिंडी की स्थापना बनारस के प्रसिद्ध बांसफोड परिवार के वंशजों द्वारा सैकड़ों वर्ष पूर्व किया गया।

सैकड़ों वर्ष खुले में रहने के बाद 1965 में पिंडी के ऊपर नगर के एक मारवाड़ी परिवार ने मुख्य मंदिर का निर्माण कराया। उसके बाद मंदिर का विकास हुआ और आज विशाल परिसर सबके सामने है।

सदर विधायक मनीष जायसवाल ने बताया  कि प्राचीन खिरकिया माता मंदिर व शिवमंदिर स्थल को पर्यटन स्थली के रूप में विकसित कराने का क्षेत्रवासियों का सपना था।

इसकी मांग शासन में रखी और निरंतर प्रयास में लगे रहे, जिसकी देन है कि स्वीकृति मिल गई है। शीघ्र ही निर्माण शुरू हो जाएगा और यह स्थली पर्यटन के मानचित्र पर नजर आएगी।










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