कार्बन कर व्यवस्था और भारत को लेकर जानिये व्यापार विशेषज्ञों की ये बड़ी राय

डीएन ब्यूरो

यूरोपीय संघ की कार्बन कर व्यवस्था से भारत और अल्प विकसित देशों का निर्यात प्रभावित होगा। व्यापार विशेषज्ञों ने बुधवार को यह बात कही। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: यूरोपीय संघ की कार्बन कर व्यवस्था से भारत और अल्प विकसित देशों का निर्यात प्रभावित होगा। व्यापार विशेषज्ञों ने बुधवार को यह बात कही।

यूरोपीय संघ इस साल एक अक्टूबर से ‘कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म’ (सीबीएएम) की शुरुआत कर रहा है।

आर्थिक शोध संस्थान वैश्विक व्यापार शोध पहल (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी, 2026 से सीबीएएम यूरोपीय संघ में चुनिंदा आयात पर 20-35 प्रतिशत कर में तब्दील हो जाएगा।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अमिता बत्रा ने कहा कि इस प्रणाली में एक संरक्षणवादी तत्व है। उन्होंने अपनी किताब ‘इंडियाज ट्रेड पॉलिसी इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ पर आयोजित एक वेब गोष्ठी में कहा, ‘‘यह भारत और अल्प विकसित देशों के साथ व्यापार को प्रभावित करेगा, क्योंकि यह इन देशों द्वारा निर्यात किए जाने वाले उत्पादों को लक्षित करता है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ के व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है।

कार्यक्रम में येल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पेनी गोल्डबर्ग ने कहा कि सीबीएएम भारत सहित कम आय वाले देशों में व्यापार को खत्म कर देगा। इसके तहत प्रदूषण फैलाने वाली तकनीकों का इस्तेमाल करके तैयार माल पर ‘भारी’ कर लगाया जाएगा।

जीटीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सीबीएएम भारत से यूरोपीय संघ को लौह, इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों के निर्यात को प्रभावित करेगा।

जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार को स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में एक कार्यबल गठित करने का सुझाव भी दिया।










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