इस तालाब के कछुओं को पनीर खिलाकर दूर करें राहु-केतु का दोष

डीएन संवाददाता

हर व्यक्ति को कभी न कभी राहु-केतु के दोष से जूझना पड़ता है। राहु-केतु के दोष निवारण के लिये हम आपको यहां एक ऐसे तालाब के बारे में बता रहे हैं, जहां जाकर आप कछुओं को पनीर खिलाकर इस दोष से मुक्ति पा सकते हैं।

कछुओं को पनीर खिलाते भक्त
कछुओं को पनीर खिलाते भक्त


कानपुर: कानपुर में प्रसिद्ध पनकी हनुमान मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर करीब 350 वर्ष पुराना प्रसिद्ध ‘कछुआ तालाब’ है। ऐसी मान्यता है कि यहां ऐसे भक्त पहुंचते हैं, जिनकी कुंडली मे राहु-केतु का दोष रहता है। इस दोष को दूर करने के लिये भक्त ‘कछुआ तालाब’ पहुंचकर कछुओं को भोजन के रूप में पनीर खिलाते है और उनकी पूजा करते हैं। कछुओं को पनीर खिलाने वालों की कुंडली से राहु-केतु का दोष दूर हो जाता है।

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लोगों का ऐसा भी मानना है कि इन कछुओं को भोजन कराने के बाद उनकी मन्नतें जरूर पूरी होती हैं। ‘कछुआ तालाब’ के प्रांगण में विशालकाय कछुओं की भरमार हैं, जिनमें से करीब 100 वर्ष पुराने कछुए इस तालाब में आज भी मौजूद है, जो भक्तों के आओ आओ बुलाने पर तालाब से बाहर निकलते है।

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कछुओं के रूप में भगवान विष्णु के दर्शन
भक्तों का ऐसा मानना है कि इस ‘कछुआ तालाब’ के दर्शन करने पर कछुए के रूप में साक्षात विष्णु के दर्शन होते हैं। एक श्रद्धालु प्रदीप ने बताया कि वह हर बुधवार को दर्शन के लिए यहां आते हैं। मंगलवार को पनकी मन्दिर में बुढ़वा मंगल के मौक़े पर आने का सौभाग्य मिला, जिसके बाद आज भी ‘कछुआ’ तालाब के दर्शन किये। क्योंकि कछुआ बुध ग्रह का प्रतीक है, इसलिए इसका पूजन करते है। जिससे घर मे सुख-समृद्धि आती है। हम सभी कछुओं को पनीर और ब्रेड के टुकड़े खिलाते हैं। 


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‘कछुआ तालाब’ के सेवक राजू ने बताया कि कछुआ तालाब 350 वर्ष पुराना तालाब है। क्योंकि कछुआ बुद्ध का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि जिस किसी के ऊपर राहु-केतु मंडरा रहा होता है, यहाँ कछुओं के दर्शन के बाद उनको इससे छुटकारा मिल जाता है। दूर दूर से भक्त यहाँ कछुओं को भोजन कराने आते हैं। इन कछुओं के रूप में साक्षात विष्णु जी मौजूद है और वे उनकी मन्नतें जरूर पूरी करते हैं।










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