बड़ी कार्यवाही: 300 करोड़ के सड़क घोटाले में दो आईएएस अफसरों को किया गया सस्पेंड, लटकी गिरफ्तारी की तलवार
उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। सीएम त्रिवेंद रावत ने एनएन-74 घोटाले में आरोपी दो आईएएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इन दोनों को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। डाइनामइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
देहरादून: तीन सौ करोड़ के एनएच-74 घोटाले में सख्त कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने दो आईएएस अफसरों को निलंबित कर दिया है। इस मामले में पहले ही 20 लोग जेल जा चुके हैं।
आईएएस पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव को सीएम ने सस्पेंड करने का फरमान सुनाया है। अब इन दोनों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
BIG News from Bureaucracy: IAS Pankaj Pandey and Chandresh Yadav suspended by Uttarakhand CM @tsrawatbjp in NH-74 Scam. @PMOIndia @nitin_gadkari @MORTHIndia @MORTHRoadSafety @IASassociation @IPS_Association @DynamiteNews_
— Manoj TibrewalAakash (@Manoj_Tibrewal) September 11, 2018
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मंगलवार को निलंबित किये दोनो आरोपी आईएएस अफसरों को सरकार ने नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था। जवाब से असंतुष्ट सरकारर ने अब इन दोनों को निलंबित कर दिया है।
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इस घोटाले में सरकार द्वारा कई पीसीएस अफसरों को पहले ही निलंबित कर चुकी है। आरोपी अफसरों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है।
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जानिये क्या है उत्तराखंड का एनएच-74 घोटाला?
क्या है एनएच-74 घोटाला
यह घोटाला उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले से जुड़ा हुआ है। जहां नेशनल हाईवे संख्या-74 के निर्माण में भूमि मुआवजा में घोटाला किया गया। किसानों के नाम पर गलत तरीके से कई गुना अधिक मुआवजा दिया गया। एनएच-74 भूमि मुआवजा घोटाले में कृषि योग्य भूमि को अकृषि भूमि में दर्शाकर जसपुर, काशीपुर, सितारगंज और बाजपुर के दर्जनों किसानों ने दस से लेकर बीस गुना तक अधिक मुआवजा ले लिया था। इस मामले में अफसरों ने बड़ी लापरवाही की और सब कुछ जानते हुए भी अनभिज्ञ बने रहे। राष्ट्रीय राजमार्ग-74 उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के पास स्थित नगीना से शुरू होकर उत्तराखंड के काशीपुर इलाके में ख़त्म होता है।
एसआईटी का गठन और जांच
गलत तरीके से किसानों को मुआवजा देने के मामले को लापरवाह अफसर लंबे समय तक मामले को छुपाते रहे। घोटाले की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया गया। जांच के बाद एसआईटी ने ऐसे कई आरोपी किसानों की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से गैर जमानती वारंट भी प्राप्त किया। किसानो से पूछताछ और जांच में इस घोटाले का दायरे बढ़ता गया, जो 300 करोड़ तक पहुंचा।