गोरखपुर खाद फैक्‍ट्री के प्रीलिंग टॉवर में बनेगी देश की सबसे बेहतरीन यूरिया

डीएन ब्यूरो

देश में सबसे बेहतरीन गुणवत्ता वाली यूरिया अब उत्‍तर प्रदेश के गोरखपुर के खाद कारखाने से निकलेगी। इसके लिए यहां देश के सबसे ऊंचे प्रीलिंग टॉवर का निर्माण अपने पूरे होने की कगार पर है। यह टॉवर कुतुबमीनार से दोगुना चौड़ा और ऊंचा बन रहा है। पढ़ें डाइनामाइट न्‍यूज़ की एक्‍सक्‍लूसिव कवरेज..

देश के किसी भी यूरिया प्‍लांट की सबसा ऊंचा प्रीलिंग टॉवर
देश के किसी भी यूरिया प्‍लांट की सबसा ऊंचा प्रीलिंग टॉवर


गोरखपुर: जिले में बन रहा यूरिया प्‍लांट अपने बनने से पहले ही दो चीजों के लिए सबसे अधिक ख्‍याति प्राप्‍त कर रहा है। पहला, प्‍लांट में बन रहे प्रीलिंग टॉवर (यूर‍िया खाद का दाना बनाने का स्‍थान) की ऊंचाई और चौड़ाई। दूसरा, इस बेहद ऊंचे टॉवर से भविष्‍य में निकलने वाली देश की सबसे बेहतरीन यूरिया। इस प्‍लांट को दिसंबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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अभी तक देश का सबसे ऊंचा प्रीलिंग टॉवर चंबल फर्टिलाइजर कोटा में है जिसकी ऊंचाई 141.5 मीटर है। जबकि यह प्रीलिंग टॉवर ऐतिहासिक कुतुबमीनार से दोगुना ऊंचा होगा। कुतुबमीनार की ऊंचाई मात्र 73 मीटर ही है, जबकि टॉवर 149.5 मीटर ऊंचा होगा। टॉवर का व्‍यास भी कुतुबमीनार से दोगुना है। टॉवर का व्‍यास 29 मीटर है जबकि कुतुबमीनार का 14 मीटर।

अपनी फसल में खाद डालते किसान

गोरखपुर के साथ ही सिंदरी, बरौनी, पालचर और रामगुंडम में यूरिया प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। अन्य सभी यूरिया प्लांट के टॉवरों की ऊंचाई गोरखपुर के प्लांट से कम है।

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प्रीलिंग टॉवर का निर्माण जापान की कंपनी टोयो कर रही है। टॉवर के 115 मीटर उंचाई तक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसे हिन्‍दुस्‍तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) द्वारा बनवाया जा रहा है। इसकी कुल लागत 7500 करोड़ से अधिक है। 

प्रीलिंग टॉवर में कैसे बनती है यूरिया

गेल द्वारा बिछाई गई पाइप लाइन से आने वाली नेचुरल गैस और नाइट्रोजन के रिएक्शन से अमोनिया का लिक्विड तैयार किया जाएगा। अमोनिया के इस लिक्विड को प्रीलिंग टॉवर की 117 मीटर ऊंचाई से गिराया जाएगा। लिक्विड अमोनिया और हवा में मौजूद नाइट्रोजन के रिएक्शन ने यूरिया छोटे-छोटे दाने के रूप में टॉवर के बेसमेंट में बने रास्‍ते से यूरिया दाना बाहर आएगा। 

यहीं होगी ऑटोमैटिक नीम कोटिंग व्‍यवस्‍था

यहां से यूरिया के दाने ऑटोमैटिक सिस्टम से नीम का लेप चढ़ाए जाने वाले चैंबर तक जाएंगे। नीम कोटिंग होने के बाद तैयार यूरिया की बोरे में पैकिंग होगी।

प्‍लांट का 50 फीसदी से अधिक काम पूरा

गोरखपुर यूरिया प्‍लांट अत्‍याधुनिक है। प्‍लांट का 50 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है। इस संबंध में एचयूआरएल का दावा है कि 26 फरवरी 2021 को हर हाल खाद का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा, प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया जाएगा।










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