IIT Kharagpur: छात्र के अस्वभाविक मौत की जांच को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट सख्त, आईआईटी खड़गपुर के निदेशक को कही बात

डीएन ब्यूरो

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने देश में उच्च स्तरीय वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की भलाई के बारे में चिंता जताते हुए कहा है कि वह आईआईटी, खड़गपुर के निदेशक से अपेक्षा करता है कि वह संस्थान के छात्रावास में तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे एक छात्र की अस्वभाविक मृत्यु को लेकर कड़े कदम उठाएंगे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

कलकत्ता हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
कलकत्ता हाई कोर्ट (फाइल फोटो)


कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने देश में उच्च स्तरीय वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की भलाई के बारे में चिंता जताते हुए कहा है कि वह आईआईटी, खड़गपुर के निदेशक से अपेक्षा करता है कि वह संस्थान के छात्रावास में तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे एक छात्र की अस्वभाविक मृत्यु को लेकर कड़े कदम उठाएंगे।

अदालत ने रैगिंग के आरोपों का उल्लेख करते हुए निर्देश दिया कि जमीनी स्तर पर उचित परामर्श सत्र सुनिश्चित किए जाएं और इसे लागू करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर के निदेशक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हों।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र फैजान अहमद के पिता सलीम अहमद की एक याचिका के संबंध में अदालत के निर्देश के अनुसार देश के पहले आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार तिवारी अदालत में मौजूद थे। अहमद का शव पिछले साल 14 अक्टूबर को संस्थान के छात्रावास स्थित उसके कमरे में मिला था।

असम के तिनसुकिया जिले के रहने वाले अहमद अपने बेटे की अस्वाभाविक मृत्यु की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का अनुरोध कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने शुक्रवार को आदेश में कहा, 'यह उम्मीद की जाती है कि इस घटना के संबंध में आईआईटी, खड़गपुर द्वारा कड़े और निवारक उपाय किए जाएंगे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को भी रोका जाएगा।’’

प्रौद्योगिकी और विज्ञान में शिक्षा प्रदान करने वाले प्रमुख संस्थान के छात्रों की भलाई पर चिंता व्यक्त करते हुए, अदालत ने कहा, 'विभिन्न आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि और अलग-अलग भावनात्मक गुण एवं बेहतर बौद्धिक क्षमता वाले छात्र यहां आते हैं।’’

अदालत ने कहा कि ये अंतर छात्रों के व्यवहार स्वरूप को प्रभावित करते हैं, 'कभी-कभी उनकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति और बातचीत को सीमित करते हैं।'

न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि किसी भी प्रकार की 'रैगिंग' की घटना ऐसे छात्रों के लिए चीजों को और भी बदतर बना देती है। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों के वर्तमान और भविष्य, व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।

अदालत ने कहा, ‘‘रैगिंग नामक इस खतरे के परिणामस्वरूप समाज और राष्ट्र के बौद्धिक विकास, कल्याण और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।’’

आईआईटी की ओर से यह कहे जाने को ध्यान में रखते हुए कि आईआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक 10 फरवरी को तय है, अदालत ने कहा कि वह इस देश में विशेष उच्च स्तरीय वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की भलाई को लेकर चिंतित है।

मामले में अदालत की सहायता के लिए पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता से अनुरोध करते हुए, न्यायमूर्ति मंथा ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि वह लिखित रिपोर्ट या मौखिक रूप से 6 फरवरी को जांच की स्थिति से अदालत को अवगत कराए।

न्यायमूर्ति मंथा ने निर्देश दिया कि आईआईटी को निर्देशों के अनुपालन पर 13 फरवरी को विचार किया जाएगा।










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