Maharajganj Road Accident: सड़क हादसे में घायल छात्राओं ने किया बड़ा खुलासा, देखिये क्या कहा डाइनामाइट न्यूज़ से
जनपद में मंगलवार की सुबह बोर्ड परीक्षा देने जा रही छात्राओं से भरी बोलेरो गाड़ी हादसे का शिकार हो गई थी। अब इस मामले बड़ा खुलासा हुआ है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर
पुरंदरपुर (महराजगंज): जिले में मंगलवार की सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ था। बोर्ड परीक्षा देने जा रही छात्राओं से भरी बोलेरो गाड़ी हादसे का शिकार हो गई थी। जिसमें तीन छात्राओं की दर्दनाक मौत हो गई जबकि कई छात्राएं घायल हो गई थी। बुधवार को कुछ छात्राएं इलाज कराकर घर वापस आई हैं।
हादसे के अगले दिन डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने घायल छात्राओं के घर पहुँचकर उनका हाल जाना। बातचीत के दौरान कई बड़े खुलासे सामने आये है, जिनको सुनकर हर किसी के होश उड़ गये।
गाड़ी में कुल 13 लड़कियां
यह भी पढ़ें |
महराजगंज में लगातार दूसरे दिन भी बड़ा सड़क हादसा, बेकाबू बस ने आधा दर्जन लोगों को रौंदा, जानिये पूरा अपडेट
हादसे में घायल छात्रा नीलम ने डाइनामाइट न्यूज़ से बताया कि बोलोरो गाड़ी में कुल 13 लड़कियां बैठी थी और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। बीच की सीट पर सात लड़कियां बैठीं थीं,पीछे चार लड़कियां थी। ड्राइवर गाड़ी तेज चला रहा था। अचानक टायर फट गया। इतने कहते ही लड़की सहम जा रही थी।
अचानक तेज आवाज के साथ धमाका
हादसे में घायल दूसरी छात्रा प्रियंका गिरी ने बातचीत में बताया कि परीक्षा दिलाने ले जाने के लिए सात सौ रुपये पारसनाथ स्कूल समरधीरा में जमा कराया गया था। सुबह 5:30 बजे सभी छात्राएं बोलोरो गाड़ी में सवार हुई। रास्ते में अचानक तेज आवाज के साथ धमाका हुआ उसके बाद उसे होश नहीं है वो बेहोश हो गई थी।
यह भी पढ़ें |
Maharajganj Road Accident: हादसे में मृत छात्राएं थी होनहार, देखिये क्या बोले पीड़ित परिजन और ग्रामीण
जिस समरधीरा के स्कूल पर छात्रायें पढ़ रही थी, उसकी मान्यता आठ कक्षा तक ही है जबकि लोगों का कहना है दसवीं तक क्लास चल रहा था। छात्राओ का एडमिशन धानी के स्कूल में कराकर क्लास यहाँ संचालित हो रहा था।
किसके सह पर संचालित हो रही थी दसवीं की कक्षाएं
इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी पिंगल राणा ने बताया कि स्कूल से मान्यता का पेपर मांगा गया। आठवीं तक स्कूल की मान्यता थी। बड़ा सवाल ये है कि आखिर किसके सह पर कक्षा आठ तक की मान्यता पर दसवीं की क्लास चल रही थी। अगर शिक्षा विभाग पहले से सचेत रहता तो इस तरह के हादसों से बचा जा सकता था क्योंकि शासन के आदेशानुसार लड़कियों का सेंटर नहीं जाता है बल्कि गृह स्कूल पर ही रहता है।