डीपीआरओ कांड: किसके संरक्षण में डेढ़ साल से फर्जीवाड़ा करते रहे कृष्ण बहादुर उर्फ केबी वर्मा

रविवार और सोमवार को डाइनामाइट न्यूज़ पर हुए डीपीआरओ कांड के खुलासे के बाद महराजगंज से लेकर लखनऊ तक जिम्मेदारों के हाथ-पांव फूले हुए हैं कि कैसे सीएम के गृह मंडल में अफसर एक के बाद एक पाप करने पर उतारु हैं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 December 2020, 10:51 AM IST
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महराजगंज: गौमाता के चारा चुराने, 328 एकड़ बेशकीमती जमीनों को कौड़ियों के मोल बांटने के मामले में आठ महीने तक सीएम द्वारा निलंबित रखे गये महराजगंज के पूर्व जिलाधिकारी और प्रदेश के भ्रष्टतम प्रमोटेड आईएएस अफसरों में से एक अमरनाथ उपाध्याय ने जून 2019 में जिस तरह से कृष्ण बहादुर उर्फ केबी वर्मा को महराजगंज में डीपीआरओ के रुप में ज्वाइनिंग करायी और उसके बाद गैरकानूनी तरीके से सरकारी धन के भुगतान का खेल शुरु हुआ, वह धीरे-धीरे वटवृक्ष का रुप ले चुका है। इस पाप को करने के साढ़े तीन महीने बाद ही अमरनाथ उपाध्याय निलंबित होकर चले गये लेकिन उसके बाद के अफसरों ने भी लगातार कृष्ण बहादुर उर्फ केबी वर्मा को किस स्वार्थ में अपना संरक्षण दिये रखा? ये बड़ी जांच का विषय है।

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एडीओ पंचायत से प्रोन्नत हुए अपर जिला पंचायत राज अधिकारी कृष्ण बहादुर ने किस तरह फर्जीवाड़ा कर लोगों को आंखों में धूल झोंकने के लिए अपना नाम बदलकर केबी वर्मा लिख डाला? किस तरह अपर जिला पंचायत राज अधिकारी से प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी बनने का कांड कर डाला? और लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए सरकारी पत्रों से लेकर कार्यालय की नाम पट्टिका तक पर सीधे-सीधे जिला पंचायत राज अधिकारी लिख डाला? यह सब व्यापक जांच के दायरे में है।

सबसे बड़ी जांच का विषय सरकारी धन के बंदरबांट, अनियमितता और भ्रष्टाचार का है। उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश के मुताबिक कोई भी अपर जिला पंचायत राज अधिकारी स्तर का अधिकारी किसी भी कीमत पर वित्तीय आहरण एवं वितरण का काम नहीं कर सकता लेकिन कृष्ण बहादुर उर्फ केबी वर्मा ने अपने नाम और असली पदनाम को छिपाकर करोड़ों रुपये के वित्तीय भुगतान को अंजाम दिया जिसे वे किसी भी कीमत पर अपने हस्ताक्षर से करने को अधिकृत नहीं हैं।

सवाल सबसे बड़ा यह है कि पिछले सत्रह महीने से करोड़ों रुपये के भुगतान की यह अनियमितता किसके शह पर चलती रही? कृष्ण बहादुर उर्फ केबी वर्मा को जिले के किन बड़े-बड़े अफसरों का मौन समर्थन हासिल रहा?

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यदि करोड़ों रुपये के इन भुगतान की सीबीआई से निष्पक्ष जांच हो जाये तो पंचायत राज विभाग के माफियाओं से लेकर जिले के कई बड़े अफसर जेल की सलाखों के पीछे नजर आयेंगे।