जिला पंचायत राज अधिकारी का भंडाफोड़: देखिये कृष्ण बहादुर कैसे बन बैठे केबी वर्मा
सत्रह महीने से कैसे एक जूनियर अधिकारी शासनादेशों की जमकर धज्जियां उड़ा रहा है। कैसे डीपीआरओ के पद पर काबिज होकर धड़ाधड़ करोड़ों रुपये के चेक काट रहा है। इस मामले का डाइनामाइट न्यूज़ पर भंड़ाफोड़ होते ही कलेक्ट्रेट से लेकर विकास भवन तक में संदिग्धों के चेहरे के रंग उड़ गये। देखिये कैसे कृष्ण बहादुर नाम का अपर जिला पंचायत राज अधिकारी लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए डीपीआरओ केबी वर्मा बन बैठा। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: हैरान करने वाली बात है कि डाइनामाइट न्यूज़ पर कृष्ण बहादुर उर्फ केबी वर्मा के भंडाफोड़ से पहले तमाम लोगों को यह पता ही नहीं था कि डीपीआरओ के पद पर सत्रह महीने से काबिज कृष्ण बहादुर का असली पद अपर जिला पंचायत राज अधिकारी का है।
शनिवार को इसी काले खेल की खबर प्रकाशित होने के बाद विकास भवन में दागियों के चेहरे के रंग उड़ गये।
डाइनामाइट न्यूज़ के हाथ लगे दस्तावेज के मुताबिक सरकारी रिकार्ड में केबी वर्मा का असली नाम कृष्ण बहादुर लिखा है लेकिन इसने लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए अपने कार्यालय के बोर्ड आदि पर अपना नाम केबी वर्मा लिखवा डाला ताकि किसी को इसकी असलियत न पता चल सके।
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27 जून 2019 को जारी पंचायती राज निदेशक मासूम अली सरवर के पत्रांक संख्या- 2/1750/2019-2/36/2019-20 के मुताबिक इसे तैनाती से ठीक पहले ही प्रोन्नत किया गया है। यानि कि यह अपर जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर भी प्रभारी डीपीआरओ के रुप में नियुक्ति से कुछ पहले ही प्रमोट हुआ है। कहा जा रहा है यह बहराइच में अपर जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर प्रोन्नत होने से पहले एडीओ पंचायत के रुप में तैनात था। बहराइच जिले में भी इसने कई कांडों को अंजाम दिया। इसके बावजूद किसके षड़ंयत्र पर एडीओ पंचायत स्तर के अधिकारी को पहले तो अपर जिला पंचायत राज अधिकारी के रुप में प्रमोट किया गया और नवप्रोन्नत इस अफसर को आनन-फानन में महराजगंज जैसे धनकमाऊ जिले का प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी बना दिया गया।
इससे भी बड़ी बात यह कि यदि कोई अधिकारी प्रभारी के रुप में तैनात भी है तो नाम पट्टिका से लेकर किसी भी सरकारी पत्र पर हस्ताक्षर करते समय इन्हें सुस्पष्ट तौर पर प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी लिखना चाहिये लेकिन ये ऐसा न करके बेखौफ औऱ धड़ल्ले से हर जगह जिला पंचायत राज अधिकारी गैरकानूनी तरीके से लिख रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने जब विकास भवन में इनके कार्यालय का दौरा किया तो पाया कि इनके कार्यालय पर इनके नाम की पट्टिका में काफी गड़बड़झाला है। नाम से लेकर पदनाम सब गुमराह करने वाला। कृष्ण बहादुर की जगह नाम पट्टिका पर केबी वर्मा लिखा था। यही नहीं नाम पट्टिका पर पद नाम पर प्रभारी डीपीआरओ की जगह जिला पंचायत राज अधिकारी लिखा मिला।
हैरान करने वाली बात यह है कि आखिर क्यों कलेक्ट्रेट और विकास भवन के सबसे बड़े अफसरों ने इतने बड़े खेल पर अपनी आंखे मूंद रखी हैं? क्या इस फर्जीवाड़े को इन बड़े अफसरों को अंदर ही अंदर समर्थन है? यह सब यदि उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच हो गयी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। सवाल यह भी है कि आखिरकार जिले के बड़े अफसरों ने क्यों शासन को लिखित में नहीं बताया कि जिले में सत्रह महीने से प्रभारी डीपीआरओ तैनात है और यहां पर नियमित डीपीआरओ की नियुक्ति की जाये।
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दिनांक 04 फरवरी 2020 को पंचायती राज सचिव वीरेन्द्र कुमार सिंह के द्वारा जारी शासनादेश संख्या 379-33-1-2020 टीसी में सुस्पष्ट लिखा है कि अपर जिला पंचायत राज अधिकारी स्तर का कोई भी अधिकारी DPRO की तरह आहरण एवं वितरण का काम नहीं कर सकता। इसके बावजूद महराजगंज में ADPRO स्तर के जूनियर अधिकारी को प्रभारी DPRO के पद पर तैनात करा लगातार बीते सत्रह महीने से धड़ाधड़ करोड़ों के भुगतान किये जा रहे हैं।
श्रावस्ती जिले के मूल निवासी कृष्ण बहादुर उर्फ केबी वर्मा को पुराने जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय के जमाने में महराजगंज में बतौर प्रभारी डीपीआरओ ज्वाइनिंग करायी गयी थी। अमरनाथ उपाध्याय वही भ्रष्टाचारी प्रमोटेड आईएएस है जिसे मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त गोरखपुर की जांच के बाद मधवलिया गो-सदन में भारी भ्रष्टाचार, गौमाता के चारा घोटाले और 328 एकड़ जमीन को भारी भ्रष्टाचार कर अपने चहेतों को कौड़ियों के मोल बांट देने के आरोप में लगातार आठ महीने तक निलंबित रखा गया था। इस मामले में आज भी अमरनाथ के खिलाफ जांच लंबित है।
ऐसे में यदि इस मामले की बड़ी निष्पक्ष जांच हो गयी तो जिले के कई सफेदपोश जेल की सलाखों के पीछे नजर आय़ेंगे कि कैसे पुराने अफसरों ने इतने जूनियर अफसर से वित्तीय काम लिया और यही पाप वर्तमान अफसर लगातार जारी रखे हुए हैं।