Dharmatma Nishad Suicide: सियासी साजिश और सामाजिक दुश्मनी का शिकार हुए धर्मात्मा निषाद? सुसाइड ने खड़े किये ये बड़े सवाल

निषाद पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव धर्मात्मा निषाद ने रविवार को महराजगंज के पनियरा क्षेत्र में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर उन्होंने आत्महत्या क्यों की। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की यह रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 February 2025, 12:27 PM IST
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महराजगंज: जनपद के पनियरा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत नरकटहां में निषाद पार्टी के युवा नेता और पूर्व प्रदेश सचिव धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि धर्मात्मा निषाद सुसाइड जैसे खतरनाक कदम उठाया क्यों और उनके इस आत्मघाती फैसले की वजह क्या है?

महराजगंज पुलिस प्रशासन और हर आदमी इन दो सवालों के जवाब जानने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या ने सियासी हलचल मचा दी है। निषाद पार्टी के अंदर से लेकर उनके करीबियों और स्थानीय लोगों में शोक की लहर है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी यह मुद्दा अंदरखाने मुखर होता जा रहा है।  

मौत को गले लगाने से पहले धर्मात्मा निषाद ने जो सुसाइड नोट लिखकर छोड़ा है, वह भी कई बातों की ओर इशारा कर रहा है। यह सुसाइड नोट उनके अंतिम समय की मनोस्थिति का भी संकेत दे रहा है।  

सुसाइड नोट बताता है कि धर्मात्मा निषाद कहीं न कहीं राजनीतिक साजिश और सामाजिक दुश्मनी का भी शिकार हुए। इस तरह की सियासी और सामाजिक प्रताड़ना को वे झेल न सके और उन्होंने पनियरा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत नरकटहां में रविवार की सुबह घर  फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली। 

मौत से पहले सुसाइड नोट अनुसार  पिछले दो वर्षों से उनके पार्टी के एक बड़े नेता और उनके बेटों द्वारा धर्मात्मा को सामाजिक और राजनीतिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर, उनके साथियों को भड़काया गया और उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाने का प्रयास किया गया। उन्होंने निषाद पार्टी के कैबिनेट मंत्री पर ये आरोप लगाये हैं। 

धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या ने महाराजगंज में नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। अपने सुसाइड नोट में धर्मात्मा ने लिखा कि अगर दुनियां छोड़कर जा रहा हूं तो इसका सबसे बड़ा कारण डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटे प्रवीण कुमार निषाद एवं ई. श्रवण कुमार निषाद और मेरा दोस्त जय प्रकाश निषाद हैं।

इन लोगों को मैं मारना चाहता तो कभी भी मार सकता था। उनके लंबे चौड़े सुसाइड नोट में औऱ भी कई बातें लिखी गई हैं, लेकिन सब बताता है कि वे सियासी धोखेबाजी, साजिश, सामाजिक दुश्मनी का शिकार हुए और आहत होकर अपनी जान दे दी। 

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस तरह से उन्होंने पार्टी के ही बड़े नेताओं पर उसके खिलाफ षड्यंत्र रचकर परेशान करने का आरोप अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखकर डाला है, उसकी हकीकत क्या है, यहां जांच के बाद ही पता चल सकेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच में क्या कुछ सामने आता है।