सीलिंग के विरोध में सड़कों पर उतरे दिल्ली के व्यापारी, दुकानें बंद कर नेताओं को कोसा

डीएन संवाददाता

राजधानी दिल्ली फिर एक बार सिलींग की बड़ी मार झेल रही है। सिलींग के विरोध में राजधानी के कारोबारियों का गुस्सा आज सड़कों पर देखने को मिला। जबरदस्त ठंड होने के बाद भी व्यापारियों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ गरम रूख अख्तियार किया।



नई दिल्लीः दिल्ली में एमसीडी की ओर से किए जा रहे सीलिंग के विरोध में मंगलवार को व्यापारियों ने दिल्ली को बंद रखा। बंद के अंतर्गत करोलबाग और गफ्फार मार्केट समेत कई प्रमुख बाजारों में दुकाने बंद रहीं। बंद को आम आदमी पार्टी का समर्थन प्राप्त होने की बात कही जा रही है, लेकिन प्रदर्शन कर रहे व्यापारियों का कहना है कि किसी भी राजनेता और राजनीतिक पार्टी ने उनका साथ नहीं दिया। 

 

 

डाइनामाइट न्यूज से बात करते हुए करोलबाग के व्यापारियों ने अपना आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि सभी सरकारें हमारी हितैषी होने का दावा करती हैं। लेकिन जब हमारी रोजी-रोटी छिनी जाती हैं। हमको बेघर किया जाता है तो, वे अपेन हाथ खड़े कर देती हैं। 

जारी रहेगा विरोध

इस दौरान व्यापारियों ने एमसीडी के साथ भाजपा सरकार को भी आड़े हाथों लिया और उनका शोषण करने का आरोप लगाया। डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में व्यापारी रघुबीर सिंह ने कहा कि जब एमसीडी हमारे दुकानें तोड़ देंगी तो फिर हम व्यापार क्या करेंगे। कहां रहेंगे और क्या खाएंगे, यह बड़ा सवाल है। एमसीडी जब तक अपना फैसला वापस नहीं लेती है तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा।

धंधा चौपट, सैकड़ों बेरोजगार

बता दें कि दिल्ली के अलग अलग मार्केट में करीब 600 से अधिक दुकानों का बेसमेंट, अपर फ्लोर, सेकंड फ्लोर और दुकानें सील कर दी गयी है। इन दुकानों पर काम करने वाले सैकड़ों लोग इस सीलिंग के चलते बेरोजगार हो चुके हैं।

जानिये, सीलिंग की कहानी

दरअसल इस वक्त दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी मॉनिटरिंग कमिटी के साथ दिल्ली भर की अवैध निर्माण वाली दुकानों को सील कर रहे हैं। मास्टर प्लान 2021 के मुताबिक यदि दिल्ली के किसी मार्केट में भी ग्राउंड फ्लोर के अलावा अपर और सेकंड फ्लोर का इस्तेमाल रेजिडेंशल पर्पज के अलावा दूसरे किसी उद्देश्य के लिये इस्तेमाल हो रहा हो तो ऐसे लोगों को उसके एवज में कन्वर्जन चार्ज देना होगा। अगर दुकानदार ऐसा नहीं करते हैं, तो उसे सील कर दिया जा रहा है।

...लेकिन नहीं मिली राहत

दिल्ली में किसी भी तरह के निर्माण के लिए नगर निगम से इजाजत लेनी पड़ती है। लेकिन दिल्ली कई इलाकों में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण को देखते हुए 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसे किसी भी कंस्ट्रक्शन को ढहाने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट भी गए ,लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। 

मामले को लेकर व्यापारियों का कहना है सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में दिल्ली नगर निगम कानून 1957 के मूलभूत प्रावधानों को ताक पर रख सीलिंग की कार्रवाई कर रही है, जिसका विरोध जरूरी है।










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