Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा का केस, लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहराने समेत इन मामलों में याचिकाएं
देश के इतिहास में कल ऐसा पहली बार हुआ, जब देश की आन-बान-शान कहे जाने वाले लाल किले की प्राचीर पर उपद्रवियों द्वारा तिरंगे के स्थान पर किसी धर्म विशेष का झंडा फहराया गया। यह मामला अब देश की शीर्ष अदालत में पहुंच चुका हैं। पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: देश की जनता कल पहली बार एक ऐसे दृश्य की गवाह बनी, जिसकी कल्पना पहले किसी ने नहीं की थी। लाल किले की जिस प्रचीर पर आज तक देश के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के खास मौके पर तिरंगा झंडा फहराते रहें हैं, वहां उपद्रवियों द्वारा कल किसी धर्म विशेष का झंडा फहरा दिया गया। किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले पर इस तरह झंडा फहराने, हिंसा और उपद्रव करने का यह मामला अब देश की शीर्ष अदालत में पहुंच चुका है।
कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान उपजी हिंसा और लाल किले पर धर्म विशेष का झंडा फहराने के मामले की न्यायिक जांच के लिये सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग वकीलों द्वारा कुछ याचिकाएं दायर की गयी है, जिनमें मामले की जांच के अलावा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी है।
एडवोकेट विशाल तिवारी, एडवोकेट विनीत जिंदल और एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। एडवोकेट विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा है कि लालकिला की प्राचीर पर प्रदर्शकारियों द्वारा दूसरा झंडा लगाना राष्ट्रीय झंडे का अपमान है।
एडवोकेट विशाल तिवारी और एडवोकेट विनीत जिंदल ने शीर्ष अदालत में दी गयी याचिका में मांग की है कि लाल किले पर दूसरा झंडा फ़हराने वाले प्रदर्शकारियों और उपद्रवियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। इसके साथ ही हिंसा फैलाने और आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
एमएल शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने कोर्ट से आंदोलनकारी किसानों को बदनाम करने से रोकने की मांग की है। इसके साथ ही जानकारी होने के बाद भी पुलिस द्वारा हिंसा रोकने के लिये पुख्ता उपाय न करने पर दिल्ली पुलिस भी सवाल उठाये गये हैं।
एक मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एमएल शर्मा ने केंद्र सरकार के साथ एनआईए, संबित पात्रा और एक न्यूज चैनल को भी पक्षकार बनाया है। उन्होंने कहा कि किसी किसान के पास हथियार नहीं थे तो हिंसा कैसे भड़की? याचिका में पुलिस और प्रशासन पर ही हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए इन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।