New Governor of Uttarakhand: उत्तराखंड के नए राज्यपाल बने लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, जानिये उनके बारे में ख़ास बातें

तीन साल तक उत्तराखंड की राज्यपाल रहीं बेबी रानी मौर्य के अचानक हुए इस्तीफे के बाद से नये राज्यपाल के नाम पर लग रहे कयासों पर अब विराम लग गया है। राष्ट्रपति ने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस खबर में जानिये नये राज्यपाल के बारे में।

Updated : 10 September 2021, 11:05 AM IST
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देहरादून: लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वे राज्य के 8वें राज्यपाल के तौर पर कार्यभार संभालेंगे। 

डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये उत्तराखंड के नये राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के बारें में खास बातें:

1. लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह भारतीय सेना में चार दशक की सर्विस के बाद साल 2016 में रिटायर हुए। इस दौरान वह भारतीय सेना में कई पदों पर रहे। भारतीय सेना में रहते हुए उनकी बेहतरीन सेवा के लिए उन्हें चार बार राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया। राष्ट्रपति पुरस्कार के अलावा उनको दो गैलेंट्री और दो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन अवॉर्ड शामिल हैं। 

2. गुरमीत सिंह ने देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशलन स्टडी से पढ़ाई की। भारत-चीन संबंधों पर ही जनरल सिंह चेन्नई और इंदौर यूनिवर्सिटी से एमफिल कर चुके हैं। इसके साथ ही भारत-चीन सीमा विवाद के मसले पर उन्होंने विशेष अध्ययन किया और इसके लिये नौकरी से स्टडी लीव ली। लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह मशहूर डिफेंस एक्सपर्ट हैं और बतौर लेफ्टिनेंट जनरल उनकी गिनती देश के सैन्य सुरक्षा से जुड़े सबसे अनुभवी अफसरों में होती है।

3. लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को चीन मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। चीन के सामने भारत का रक्षा संबंधी पक्ष रखने के लिए वे सात बार चीन की यात्रा कर चुके हैं। वे पूर्व डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, श्रीनगर में कॉर्प्स कमांडर, डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन यानी डीजीएमओ जैसे अहम पदों पर रहे हैं।  

4. उत्तराखंड के नए राज्यपाल नियुक्त किए गए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह सोशल मीडिया में खासे सक्रिय रहते हैं। वो कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय ट्वीटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बेबाकी से रखते हैं। कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में भी वे सैन्य और सुरक्षा संबंधी विषयों पर लिखते रहते हैं।