

उत्तराखंड की पर्वतीय धरती अब केवल सुंदरता और शांति के लिए ही नहीं, बल्कि अरबों की खुशबू बिखेरने वाले गुलाबों के लिए भी जानी जाएगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
देहरादून: उत्तराखंड की पर्वतीय धरती अब केवल सुंदरता और शांति के लिए ही नहीं, बल्कि अरबों की खुशबू बिखेरने वाले गुलाबों के लिए भी जानी जाएगी। जी हाँ, राज्य में अब सीरिया मूल के बल्गेरियन गुलाब (Rosa damascena) की व्यावसायिक खेती शुरू हो गई है, जिससे निकलने वाले गुलाब तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 12 से 15 लाख रुपए प्रति लीटर तक जाती है। इससे प्रदेश के किसानों के लिए समृद्धि के नए रास्ते खुलने वाले हैं।
कम संसाधनों में ज्यादा मुनाफा
उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कृषि हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है। लेकिन अब राज्य सरकार की ‘महक क्रांति पॉलिसी’ और एरोमा फार्मिंग पर विशेष जोर देने के चलते स्थिति तेजी से बदल रही है। बल्गेरियन गुलाब की यह किस्म कम पानी और देखभाल में भी फल-फूल जाती है और एक बार लगाने पर 10 से 15 साल तक उत्पादन देती है।
सैकड़ों हेक्टेयर में फैली खेती
उत्तराखंड सगंध पौधा केंद्र के सैटेलाइट सेंटर में बल्गेरियन गुलाब की सफल खेती की जा रही है। देहरादून के पास और जोशीमठ, ताकुला (अल्मोड़ा) जैसे क्षेत्रों में 1000 हेक्टेयर भूमि पर इसकी क्लस्टर आधारित खेती की योजना है। ये वही जमीनें हैं, जो पहले बंजर पड़ी थीं।
700 ग्राम तेल से कमाएं 8 लाख रुपए
एक हेक्टेयर भूमि में किसान 700-800 ग्राम तक गुलाब का तेल निकाल सकते हैं, जिसकी कीमत बाजार में करीब 8 लाख रुपए या उससे अधिक है। इतनी कीमत की कोई पारंपरिक फसल पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं मिलती। यही नहीं, गुलाब से रोज वॉटर और इत्र भी तैयार किए जा सकते हैं, जो स्थानीय स्तर पर रोजगार का बड़ा जरिया बन सकते हैं।
जंगली जानवरों से सुरक्षित, किसानों को राहत
यह गुलाब की ऐसी प्रजाति है जिसे जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते, जिससे किसानों को फसल की सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं रहती। साथ ही ड्रिप सिंचाई की तकनीक अपनाकर कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती संभव हो गई है।
एरोमा टूरिज्म का केंद्र बनेगा उत्तराखंड
राज्य सरकार का लक्ष्य भविष्य में गुलाब की घाटियों को एरोमा टूरिज्म के रूप में विकसित करना है। जैसे ही कुछ स्थानों पर गुलाब की खेती एक वैली के रूप में आकार लेगी, वहां पर पर्यटक आकर्षित होंगे और यह क्षेत्र पर्यटन के साथ-साथ किसानों की आय का भी बड़ा स्रोत बन जाएगा।
बल्गेरियन गुलाब की यह खेती उत्तराखंड के पर्वतीय किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाकर, कम लागत में लाखों की कमाई का सपना अब हकीकत में बदलता दिख रहा है। राज्य सरकार की "महक क्रांति" नीति के तहत यह पहल न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि भारत को गुलाब तेल के वैश्विक बाजार में बड़ी हिस्सेदारी भी दिला सकती