यूपी की ब्यूरोक्रेसी में भूचाल: सीनियर आईएएस ने पूछा क्यों रही बैठक से गायब तो महिला आईएएस ने कहा- Sexual harassment

मनोज टिबड़ेवाल आकाश

यूपी के आईएएस अफसरों की अजब रामकहानी है। आये दिन बैठकों से गायब रहना तो जैसे आम बात हो गयी है। सीएम की बैठक से गायब आईएएस संजय कुमार का मामला अभी ठंडा भी नही पड़ा था कि एक और महिला आईएएस, विभागीय मंत्री की बैठक से गायब हो गयीं। जब इस महिला आईएएस से उसके सीनियर आईएएस ने जवाब मांगा तो महिला ने लिखित में थमा दिया आपका यह कृत्य Sexual harassment at work place के दायरे में आता है। इसके बाद पूरे यूपी की ब्यूरोक्रेसी में मानो हड़कंप सा मचा हुआ है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव..

आईएएस मिनिस्ती एस. (फाइल फोटो)
आईएएस मिनिस्ती एस. (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: आये दिन किसी न किसी गलत कारण से यूपी के आईएएस ऐसा कारनामा कर रहे हैं जिससे राज्य की ब्यूरोक्रेसी का मजाक देश भर में बन रहा है। चटकारे लेकर नई दिल्ली और अन्य राज्यों में तैनात आईएएस यूपी वालों का मजाक उड़ा रहे हैं।

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हिमांशु कुमार, आईएएस

सूबे के तमाम आईएएस तरह-तरह के बहाने बनाकर महत्वपूर्ण मीटिंगों से गायब हो जा रहे हैं। भले ही ये मीटिंग सीएम ले रहे हों या फिर विभागीय काबीना मंत्री। इन मनबढ़ अफसरों को इससे कोई फर्क नही पड़ता कि तख्वाह सरकार की ले रहे हैं और काम मनमर्जी के। कुछ दिन पहले एक आईएएस संजय कुमार सीएम की बैठक से ही लापता हो गये थे जिल पर सीएम काफी लाल-पीले हुए।

हिमांशु कुमार के पत्र का पहला पन्ना

अब ताजा मामला 1990 बैच के आईएएस हिमांशु कुमार और 2003 बैच की आईएएस मिनिस्ती एस. नायर के बीच का है। हिमांशु स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर तैनात हैं तो मिनिस्ती आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के पद पर तैनात हैं। इनको अतिरिक्त तौर पर हिमांशु के अधीन आने वाले विभाग में आईजी निबंधन और आयुक्त, स्टाम्प की जिम्मेदारी भी शासन ने दे रखी है। 

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हिमांशु कुमार के पत्र का दूसरा पन्ना

ये है विवाद की जड़

बीते11 दिसंबर को विभागीय मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी ने लखनऊ में एक बैठक बुलायी थी। इस बैठक में मिनिस्ती नहीं पहुंची और अपनी जगह किसी अन्य जूनियर अफसर को भेज दिया। इस बारे में जब प्रमुख सचिव ने आईजी से पत्र लिखकर जवाब तलब किया तो मिनिस्ती भड़क उठीं उन्होंने लौटती डाक से ऐसा लिखित जवाब दिया कि प्रमुख सचिव सहित जो सुना वही दंग रह गया। 

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जवाब में मिनिस्ती ने यह तो नही बताया कि वे ऐसे किस काम में व्यस्त थीं कि बैठक में भाग लेने नही पहुंची उल्टे धमकाते हुए लिखा कि आपके पत्र की भाषा शैली बहुत ही आक्रामक है जो कि वर्तमान नियमों के सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत Sexual harassment at work place की श्रेणी में आता है। जैसा कि निम्नवत वर्णित है।

“A threat of detrimental treatment to a woman employee, a threat about her present or future employment status, interference with her work or creating an intimidating or offensive or hostile work environment and humiliating treatment, that is likely to affect her health and safety will now be treated as sexual harassment.”

उक्त कृत्य सेंट्रल सिविल सर्विसेज नियम 1964 -1965 की सुसंगत धाराओं में दंडनीय अपराध है। 

हिमांशु ने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि बैठक के बाबत मिनिस्ती को जब उनके कार्यालय के लैंडलाइन से फोन कराया जा रहा था तो वे बार-बार फोन तक काट दे रही थीं। 

दोनों तरफ से हुई लेटर-बम बाजी के बाद अब मामला हाई लेवल तक पहुंच गया है।

मिनिस्ती के पत्र का पहला पन्ना

हिमांशु ने जतायी मिनिस्ती के साथ काम करने में असमर्थता

डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक मिनिस्ती के धमकी भरे पत्र के बाद हिमांशु ने शासन को लिखा है कि वे वर्तमान हालात में मिनिस्ती के साथ काम नही कर सकते लिहाजा विभाग से दोनों में से किसी एक अफसर को हटा दिया जाय। उन्होंने कहा कि मिनिस्ती को किसी महिला आईएएस के अधीन ही तैनात किया जाय ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो। हिमांशु ने वर्तमान परिस्थितियों के मद्दे्नजर मिनिस्ती के खिलाफ कार्यवाही की भी मांग की है। 

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मिनिस्ती के पत्र का दूसरा पन्ना

क्या कहता है अतीत 

जब डाइनामाइट न्यूज़ ने इस बात की पड़ताल की कि दोनों अधिकारियों का अब तक का ट्रैक रिकार्ड कैसा रहा है तो ये पता चला कि दोनों ही अफसर ईमानदार छवि के हैं लेकिन मिनिस्ती एस. को आईएएस होने का अतिरिक्त घमंड है। मूल रुप से केरल की रहने वाली मिनिस्ती 2009 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी की डीएम थीं और ये सपा उम्मीदवार मुलायम सिंह यादव तक से उलझ चुकी हैं। मिनिस्ती ने अपने पत्र की कापी सीएम कार्यालय से लेकर मुख्य सचिव आफिस और नियुक्ति विभाग तक सबको भेज यह जताने की कोशिश की है कि वे इस मामले में झुकने वाली नही हैं।

वरिष्ठ अफसरों की प्रतिक्रिया

इस बारे में जब सूबे के वरिष्ठ अफसरों से पूछा गया तो कई महिला व पुरुष आईएएस अफसरों का मानना था कि इस तरह की घटना का सार्वजनिक होना दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसी कोई बात नही दिखती है। ये महिला होने का अतिरिक्त लाभ उठाने जैसी बात प्रथम दृष्टया प्रतीत होती है। इस पर बेहतर होता दोनों आपस में बैठकर बात करते लेकिन लगता है दोनों के बीच संवादहीनता की वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है। 










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