जानिये..संविधान दिवस पर क्या बोले सीजेआई रंजन गोगोई
देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़ें इस मौके पर क्या कहा भारत के प्रधान न्यायाधीश(सीजेआई) रंजन गोगोई ने...
नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश(सीजेआई) रंजन गोगोई ने सोमवार को कहा कि संविधान के सुझावों पर ध्यान देना ‘हमारे सर्वश्रेष्ठ हित’ में है और ऐसा नहीं करने से अराजकता तेजी से बढ़ेगी।
प्रधान न्यायाधीश ने यहां संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा कि संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की भी आवाज है और यह अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में सतत् मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान की बातों पर धयान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेजी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा।’’
When it was brought into force, our Constitution was criticised. Sir Ivor Jennings termed it as far too large&rigid. Time has weakened criticism&it's a matter of pride that our constitution has lived with great vigour in last 7 decades: CJI Ranjan Gogoi in Delhi #ConstitutionDay pic.twitter.com/DtDEjtVvBA
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— ANI (@ANI) November 26, 2018
गोगोई ने कहा, ‘‘संविधान भारत की जनता के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है, अदालतें रोजाना जिस प्रकार के भिन्न मुद्दों पर सुनवाई करतीं है उसे लोगों को देखना चाहिए।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमारा संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की आवाज है। इसका विवेक अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में हमारा मार्गदर्शन करता है।’’
उन्होंने कहा कि जब संविधान लागू किया गया था उस वक्त व्यापक पैमाने पर इसकी आलोचना हुई थी लेकिन वक्त ने आलोचनाओं को कमजोर किया और बेहद गर्व की बात है कि पिछले अनेक दशक से इसका जिक्र बेहद जोश के साथ किया जा रहा है।
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उन्होंने कहाकि संविधान‘‘वक्त से बंधा दस्तावेज भर नहीं है’’ और आज जश्न मनाने का नहीं बल्कि संविधान में किए गए वादों की परीक्षा लेने का वक्त है।
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘क्या हम भारतीय आजादी, समानता और गरिमा की शर्तों के साथ जी रहे हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें मैं खुद से पूछता हूं। निसंदेह काफी तरक्की हुई है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आज हमें सिर्फ जश्न नहीं मनाना चाहिए बल्कि भविष्य के लिए एक खाका तैयार करना चाहिए।’’
गौरतलब है कि 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। (भाषा)