Uttar Pradesh: जहरीली हवा के बाद अब पानी भी हुआ प्रदूषित, पीने के पानी से जुड़ी ये रिपोर्ट कर रही सब बयां

जहां एक तरफ देश के कई राज्य जहरीली हवा की चपेट में हैं, वहीं पानी से जुड़ी भी एक बुरी खबर सामने आई है। जहां धीरे-धीरे अब यहां की हवाएं सांस लेने के लायक नहीं हैं, वहीं अब पानी भी पीने लायक नहीं रहा है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 18 November 2019, 4:51 PM IST
google-preferred

लखनऊः हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें कई राज्यों में पानी की गुणवत्ता के बारे में बताया गया है।  देश भर के अलग-अलग कुल 21 शहरों से जलकल विभाग द्वारा घरों में सप्लाई किये जाने वाले पानी के लिए गये हैं। जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया था। 

यह भी पढ़ेंः गोरखपुर में बड़ी घटना- दिनदहाड़े गोली मारकर पेट्रोल पंप मैनेजर की हत्या, लूटे लाखों रुपए
 

पीने का पानी हुआ खतरनाक

इन सैंपल को दुर्गंध,पानी में मौजूद क्लोराइड, फ्लोराइड और अमोनिया की मौजूदगी जैसे मानकों पर परखा गया। जिस में पाया गया की ये पानी अब पीने लायक नहीं रहा। वहीं ये बात भी सामने आई की देश की राजधानी दिल्ली का पानी सबसे असुरक्षित है जबकि देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई का पानी बगैर फिल्टरेशन के इस्तेमाल करने लायक पाया गया। इसी लिस्ट में यूपी की राजधानी लखनऊ को 15 वां स्थान मिला है। मतलब ये की लखनऊ का पानी भी मानव जीवन के लिए खतरनाक हो चुका है।

यह भी पढ़ेंः Uttar Pradesh- संदिग्ध परिस्थितियों में मिली विवाहिता की लाश, हत्या या आत्महत्या की गुत्थी में उलझी पुलिस

बता दें की लखनऊ के गोमतीनगर, हजरतगंज, दारूलशफा, अलीगंज जैसे इलाकों से इसी साल अप्रैल से जून के बीच जलकल और स्वास्थ्य विभाग ने नमूने इकठ्ठे किये थे। जिन्हें बाद में जांच के लिए भेजा गया था। वहीं इन नमूनो की जांच रिपोर्ट केन्द्रीय उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से जारी की गई है। प्रदूषित जल को लेकर लखनऊ नगरआयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा की एनएसओ की जांच रिपोर्ट आने के बाद हम इसका अध्ययन कर रहे हैं। जल्दी समस्या के निस्तारण के लिए  एक रोड मैप तैयार किया जायेगा।

यह भी पढ़ें: अवैध शराब की 270 पेटियां हुई जब्त 

ऐसे में बड़ा सवाल यूपी सरकार के उस दावे पर उठता है, जिसमें सरकार ने ये कहा था कि लोगों को अब से पीने के लिए साफ पानी मिलेगा। साथ ही जलकल विभाग की ओर से हर महीने विभागीय बजट का बड़ा हिस्सा घरों में सप्लाई होने वाले पीने के पानी पर खर्च करता है। इस जांच रिपोर्ट ने उस पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।