कावेरी जल बंटवारा विवाद सुलझाने के लिए भाजपा सांसद सिरोया ने दिया नया सुझाव, स्टालिन और सिद्धारमैया से किया ये खास आग्रह
कावेरी नदी के जल के बंटवारे को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता और राज्य सभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने एक नया सुझाव दिया है। उन्होंने एक पत्र लिखकर कर्नाटक और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों को इस मामले को मानवीय संकट के रूप में देखने और मिल-बैठकर सुलझाने की अपील की है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बेंगलुरु: कावेरी नदी के जल बंटवारा विवाद सुझाने कि लिए भाजपा नेता और कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने एक बड़ा सुझाव दिया है। सिरोया ने इस विवाद को सुलझाने के लिये तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने दोनों दक्षिणी राज्यों यानी कर्नाटक और तमिलनाडु से इस मामले को मानवीय संकट के रूप में देखने और मामले को आपस में मिल-जुलकर सुलझाने का आग्रह किया है।
सिरोया ने अपने पत्र में लिखा है कि कावेरी नदी के जल बंटवारे विवाद को निपटाने के लिए केंद्र या अदालतों के हस्तक्षेप के बजाए कर्नाटक और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों को आपस में बैठक करनी चाहिये और इस बैठक में हर मुद्दे पर बातचीत करके इसकी हल किया जाना चाहिए।
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सिरोया ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को यह पत्र कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण की आपातकालीन बैठक से पहले लिखा गया है। उन्होंने इसमें कहा है कि कम से कम कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को केवल एक क्षेत्रीय संघर्ष मानने के पुराने चक्र को तोड़ना चाहिए और इसके लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक कर इसे सुलझाना चाहिये।
सिरोया ने लिखा है कि “मैं दोनों मुख्यमंत्रियों (स्टालिन और सिद्धारमैया) से मिलने और मुद्दे को सुलझाने का आग्रह करता हूं।''
अपने पत्र में सिरोया ने स्टालिन को सूचित किया कि तमिलनाडु को यह समझना चाहिए कि कर्नाटक जानबूझकर पानी नहीं रोक रहा है। बात सिर्फ इतनी है कि इसके जलाशय खाली हैं और राज्य के करीब 70 फीसदी हिस्से में सूखा है. साथ ही पेयजल संकट भी मंडराने लगा है।
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सिरोया ने अपने दो पृष्ठों के पत्र में कहा, "मैं तमिलनाडु से यह महसूस करने का आग्रह करता हूं कि कर्नाटक की पानी की जरूरतों में लाखों तमिल भाषियों की पानी की जरूरतें शामिल हैं, जो कर्नाटक में काम करते हैं और रहते हैं।"
उन्होंने आगे लिखा है कि इस संकट की स्थिति का सबसे अच्छा समाधान यही है कि दोनों राज्य भाइयों की तरह एक-दूसरे की जरूरत और संकट को समझें। ऐसा तभी हो सकता है जब तमिलनाडु और कर्नाटक के सीएम मिलें और स्थिति पर चर्चा करें। केंद्र या अदालतों की मदद लेने की बजाय उनकी बैठक से अधिक हासिल किया जा सकता है।