किसानों के आंदोलन को लेकर बड़ी खबर: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने सड़क जाम का लिया संज्ञान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के पुलिस प्रमुखों और मुख्य सचिवों को जारी किया नोटिस

डीएन संवाददाता

तमाम तरीके अपनाये जाने के बावजूद किसानों का हौसला नहीं डिगा और वे लंबे समय से कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी पुरानी मांगों पर अड़े हुए हैं। इसी मांग को लेकर बड़ी संख्या में किसान विभिन्न एफआईआर झेलने के बावजूद दिल्ली के अलग-अलग बार्डर पर डटे हुए हैं। इस बीच समूचे मामले का संज्ञान राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने लिया है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

फाइल फोटो
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नई दिल्ली: मान-मनौव्वल से कोई रास्ता हाथ लगते न देख क्या कानूनी तरीके से किसानों के आंदोलन को खत्म कराने की तैयारी पर्दे के पीछे से की जा रही है? किसानों का आंदोलन लगातार जारी रहा तो क्या उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसका बुरा असर सत्तारुढ़ पार्टी को पड़ेगा?

एक शिकायत और उस पर जारी नोटिस के बाद कुछ ऐसे ही सवाल सामने उठ खड़े हुए हैं। डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक एक शिकायत के बाद  राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) सक्रिय हो उठा है। 

आयोग ने अब से कुछ मिनट पहले एक साथ आठ नोटिस जारी की है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी की गयी है। इसके अलावा दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस आय़ुक्त को भी नोटिस जारी किये जाने की खबर है।

डॉ. योगेश दुबे नाम के व्यक्ति ने बतौर शिकायतकर्ता ये शिकायत की है। ये उत्तर भारतीय महासंघ और भारतीय विकास संस्थान नामक संगठनों के अध्यक्ष बताये जा रहे हैं। 

शिकायत में लिखा गया है कि सिंघु, गाजियाबाद, टिकरी, ढांसा और शाहजहांपुर सहित दिल्ली की सीमा के पास प्रदर्शन के नाम पर किसानों ने जाम लगा दिया है। यातायात डायवर्ट होने से लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है।

दूसरे राज्यों से दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों को परेशानी हो रही है। शिकायत में मांग की गयी है कि आंदोलन के कारण अनावश्यक रूप से लोगों को होने वाली परेशानी का अंत किया जाये।

इस शिकायत का आयोग (NHRC) ने संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों, दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस आय़ुक्त को नोटिस जारी कर उनको अपना-अपना पक्ष चार सप्ताह के भीतर रखने का निर्देश दिया है। इस जवाब के आने के बाद आयोग अपना निर्णय सुनायेगा।

डाइनामाइट न्यूज़ को मिली अंदरुनी जानकारी के मुताबिक आयोग ने प्रथम दृष्टया शिकायत में लगाये गये आरोपों को गंभीर प्रकृति का माना है। जिनमें सामान्य रूप से यात्रियों और रोगियों, शारीरिक रूप से विकलांग लोगों और विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकार शामिल हैं। आयोग का मानना है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली राज्यों में विभिन्न हिस्सों में सड़कों की नाकेबंदी से न केवल यात्रियों को अनुचित कठिनाई हुई है, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। आयोग ने अपने नोटिस में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिट संख्या 249/2021 के 23 अगस्त के आदेश का भी जिक्र किया है। 

अब सवाल यह है कि यह याचिका स्वस्फूर्त ढ़ंग से वाकई जनहित में दाखिल की गयी है या फिर इसके पीछे कुछ लोग प्रायोजित ढ़ंग से लगे हैं। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चायें हैं। 










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