थाईलैंड का अयुध्या और भारत का अयोध्या : सीमाओं में बंटे लेकिन भगवान राम में विश्वास एक समान

डीएन ब्यूरो

भारत में अयोध्या और थाईलैंड में अयुध्या- भले ही भौगलिक सीमाओं में विभाजित हैं लेकिन दोनों शहर सिर्फ नाम से ही नहीं मिलते-जुलते हैं बल्कि भगवान राम में विश्वास के मामले में भी दोनों एक-दूसरे के समान हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

थाईलैंड का अयुध्या और भारत का अयोध्या
थाईलैंड का अयुध्या और भारत का अयोध्या


अयोध्या:  भारत में अयोध्या और थाईलैंड में अयुध्या- भले ही भौगलिक सीमाओं में विभाजित हैं लेकिन दोनों शहर सिर्फ नाम से ही नहीं मिलते-जुलते हैं बल्कि भगवान राम में विश्वास के मामले में भी दोनों एक-दूसरे के समान हैं। दोनों शहरों के बीच की दूरी साढ़े तीन हजार किलोमीटर है लेकिन भगवान राम में विश्वास लगभग एक समान है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में महज तीन दिन शेष रहने के बीच अयुध्या भी इस कार्यक्रम में शामिल होने को तैयार है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक  अयोध्या मंदिर ट्रस्ट को राम मंदिर के लिए अयुध्या से मिट्टी और थाईलैंड की तीन नदियों का जल प्राप्त हुआ है। इन तीन नदियों में चाओ फ्रया, लोप बुरी और पा साक शामिल हैं।

चाओ फ्रया नदी के किनारे बसा शहर अयुध्या एक प्राचीन नगर है, जो बैंकॉक से 70 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और यह अपने समृद्ध व जीवंत सांस्कृतिक इतिहास के लिए यूनेस्को की वै‍श्विक धरोहर सूची में शामिल है।

बैंकॉक में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की एक सदस्य के मुताबिक, अयुध्या और थाईलैंड के अन्य शहरों में स्थित हिंदू मंदिरों के बाहर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाई जा रही हैं, जिन पर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण किया जाएगा।

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उन्होंने बताया, ''सभी मंदिरों में दीप जलाए जाएंगे और लोग दिन में राम भजन गाकर स्तुति करेंगे।''

विहिप नेता ने कहा, ''हमने बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाई हैं, जिन पर भक्त प्राण प्रतिष्ठा समारोह देख सकेंगे। हमने दीप जलाने के इंतजाम भी किए हैं और भक्तों में प्रसाद भी वितरित किया जाएगा।''

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि अयुध्या थाईलैंड का अयोध्या है। उन्होंने कहा, ''प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए हमें वहां से मिट्टी और नदियों का जल मिला है।''

विश्व हिंदू संघ (डब्ल्यूएचएफ) के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानंद ने कहा कि अयुध्या का नाम भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या से ही पड़ा है, जो हिंदू धर्म और रामायण से संबंध स्थापित करता है।

उन्होंने कहा, ''अयुध्या के प्रथम शासक राजा रामथिबोडी ने क्षेत्र की संस्कृति पर रामायण के प्रभाव के कारण ही यह नाम रखा था।''

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उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि उनके बाद के राजाओं ने भी राम नाम अपनाया, जो भगवान राम के साथ संबधों को और मजबूती प्रदान करता है। इनमें चक्री राजवंश भी शामिल था।

उन्होंने कहा, ''अयुध्या को यह चीज बेहद खास बनाती है कि यहां हम रामायण का थाई संस्करण ‘रामकियेन’ देख सकते हैं, बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने दक्षिणपूर्व एशिया में रामायण का प्रसार किया था। यह अयुध्या साम्राज्य के दौरान हुआ था। इस प्रकार हम थाई संस्कृति पर राम के जीवन के प्रभाव को देखते हैं।''

दिग्गज संस्कृत विद्वान और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित सत्यव्रत शास्त्री ने थाई रामकियेन का संस्कृत में अनुवाद किया है।

अयोध्या में राम मंदिर का पहला चरण पूरा होने के करीब है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेंगे।

 










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