आप नेताओं पर एक्शन के बीच राघव चड्डा को लेकर लग रही अटकलें, जानिए ये कयास

डीएन ब्यूरो

आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े राजनीतिक संकट के बीच आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की गैरमौजूदगी ने पक्ष और विपक्ष के दोनों के सामने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा
आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा


नई दिल्ली: आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा गैरमौजूदगी और चुप्पी को लेकर सुर्खियों में बने हैं। दरअसल राघव चड्ढा आम आदमी पार्टी के होनहार नेता के तौर पर जाने जाते हैं। लेकिन ऐसे समय में जब पार्टी अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रही है, राघव बिल्कुल नदारद हैं। वह लंबे समय से सार्वजनिक तौर पर दिखाई नहीं दिए हैं। ऐसे में पार्टी समर्थकों को लगता है कि वह बीजेपी को मौका दे रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार राघव चड्ढा को मीडिया की सुर्खियों में बने रहना पसंद हैं। पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद चड्ढा पार्टी के ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जिनसे आसानी से संपर्क साधा जा सकता है। हालांकि, ऐसे समय में जब पार्टी अपने अब तक के सबसे बड़े  संकट से जूझ रही है, चड्ढा पूरी तस्वीर से ही गायब है।

आम आदमी पार्टी चीफ केजरीवाल ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को पार्टी के नेताओं ने बढ़-चढ़कर शेयर किया था लेकिन राघव चड्ढा ने केजरीवाल की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को शेयर नहीं किया था।

इस बीच राघव चड्ढा की असामान्य चुप्पी और उनके लंदन दौरे ने बीजेपी नेताओं को  आम आदमी पार्टी को निशाना बनाने का मौका दिया।

बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ब्रिटिश सांसद प्रीत गिल के साथ राघव चड्ढा की तस्वीर को लेकर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत में चुनावों का ऐलान हो गया है। लेकिन राघव चड्ढा, अरविंद केजरीवाल के होनहार नेता लंदन में हैं। क्यों? चड्ढा दरअसल प्रीत गिल के संपर्क में क्यों हैं? 

राघव चड्ढा का दिल्ली और भारत से दूर रहने को लेकर आम आदमी पार्टी के समर्थकों में भारी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इससे अटकलबाजियों का दौर भी शुरू हो गया है और बीजेपी इस मौके का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है।

मालवीय ने 23 मार्च को कहा था कि हमें मीडिया के जरिए पता चला कि वह आंख की सर्जरी के लिए ब्रिटेन में हैं। अगर ऐसा है तो दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का क्या हुआ। 
 










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