

वैशाख माह में आने वाली वरुथिनी एकादशी की तिथि और पूजा विधि को लेकर उलझन है तो पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
वरुथिनी एकादशी (सोर्स- इंटरनेट)
नई दिल्लीः हिंदू पञ्चाङ्ग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि हर महीने में दो बार आती है, इस मुताबिक हिंदू धर्म में एक साल में 24 एकादशी होती है। महीने की पहली एकादशी कृष्ण पक्ष के दिन होती है और दूसरी शुक्ल पक्ष के दिन होती है। एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है एकादशी में व्रत करने से घर में सुख-समृध्दि का वास होता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अप्रैल महीने में यानी वैशाख माह में आने वाली पहली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की तिथि पर आती है। वरुथिनी एकादशी की तिथि को लेकर काफी कंफ्यूजन हो रही है कि कब वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी।
आइए फिर आपको बताते हैं कि वरुथिनी एकादशी कब मनाई जाएगी और इसकी पूजा विधि क्या है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख व धन की प्राप्ति होती है।
जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि वरुथिनी एकादशी हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष तिथि पर मनाई जाती है। ऐसे में इस सला यह तिथि कब पड़ रही है इसको लेकर लोग काफी असमंजस है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष वरुथिनी एकादशी का शुभारंभ बुधवार 23 अप्रैल की शाम चार बजकर 44 मिनट पर होगा। वहीं इसका समापन गुरुवार 24 अप्रैल की दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगा।
इस दिन रखा जाएगा एकादशी का व्रत
हिंदू शास्त्रों में उदय तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा। वहीं व्रत का पारण 25 अप्रैल को किया जाएगा, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 45 मिनट से लेकर 8 बजकर 23 मिनट है।
1. यदि आप वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत रखना चाहते हैं तो दशमी तिथि की रात सात्विक भोजन का सेवन करें।
2. अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को साफ करें।
3. इन सब के बाद भगवान विष्णु का प्रिय भोग बनाएं और पूजा करने के बाद उसे चढ़ाएं।
4. पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें और उन्हें फूल, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
5. इसके अलावा आप भगवान विष्णु को तुलसी का पत्र चढ़ाएं और गीता का पाठ करें।
6. पूरे दिनभर आप फलहर का सेवन करें।