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भारत में ज्यादातर शादियां रात में ही क्यों होती हैं? इसके पीछे परंपरा से लेकर वैज्ञानिक कारण तक कई दिलचस्प फैक्ट्स हैं। रात की शादी न सिर्फ सुविधाजनक मानी जाती है, बल्कि सामाजिक, ज्योतिषीय और प्रैक्टिकल वजहों से भी इसे प्राथमिकता दी जाती है।
रात की शादी का राज (Img- Internet)
New Delhi: भारत में शादी एक ऐसा समारोह है, जिसमें परंपराएं, रीति-रिवाज़ और आधुनिकता सभी का मेल देखने को मिलता है। लेकिन एक बात लगभग हर जगह कॉमन नजर आती है कि ज्यादातर शादियां रात में ही होती हैं। कभी सोचा है ऐसा क्यों? आखिर इसकी शुरुआत कब हुई और इसके पीछे ऐसी क्या ख़ास वजहें हैं, जिसने रात की शादी को एक परंपरा जैसा रूप दे दिया? आइए जानते हैं इन रोचक फैक्ट्स के बारे में।
भारतीय शादियों में मुहूर्त का बहुत महत्व होता है। शादी का समय पंडित या ज्योतिषी ग्रहों-नक्षत्रों की स्थिति देखकर तय करते हैं। कई बार शुभ मुहूर्त रात में ही मिलता है। हिंदू विवाह में ‘फेरे’ अग्नि देवता के साक्षी में लिए जाते हैं और पौराणिक मान्यताओं में रात का समय शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरा माना जाता है। इसलिए शुभ कार्यों के लिए रात उपयुक्त मानी जाती है।
इसके अलावा, पहले के समय में ग्राम्य जीवन में दिनभर खेतों और कामों में व्यस्तता रहती थी। शुभ मुहूर्त अक्सर सूर्यास्त के बाद रखा जाता था ताकि सभी लोग आराम से शादी में शामिल हो सकें। यही परंपरा पीढ़ियों तक चली और आज भी जारी है।
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भारत जैसे देश में गर्मी बहुत अधिक होती है। दिन के समय तेज धूप, पसीना और गर्म हवाओं के कारण शादी का आयोजन भारी पड़ सकता है। रात के समय तापमान कम होता है, जिससे मेहमान भी कम्फर्टेबल महसूस करते हैं और समारोह ज्यादा सुचारू रूप से चलता है। हल्की ठंडी हवा, सुंदर लाइटिंग और ओपन वेन्यू ये सब रात की शादी को और भी खूबसूरत बना देते हैं।
ल्हा-दुल्हन का फेवरेट बना ‘नाइट वेडिंग’ ट्रेंड (Img- Internet)
रात की शादी में सजावट का एक अलग ही charm होता है। फेयरी लाइट्स, रंग-बिरंगी रोशनी, कैंडल्स और थीम-बेस्ड डेकोरेशन शादी को फिल्मी लुक दे देते हैं। फोटो और वीडियोग्राफी भी रात में ज्यादा शानदार आती है, क्योंकि लाइटिंग को कंट्रोल किया जा सकता है। यही वजह है कि आजकल की मॉडर्न शादियों में नाइट वेडिंग एक ट्रेंड बन चुकी है।
पहले के समय में लोग दूर-दराज़ से पैदल या बैलगाड़ी से आते थे, इसलिए दिनभर की यात्रा के बाद रात में शादी रखना सुविधाजनक होता था। आज भी लोग कामकाजी होते हैं दिनभर ऑफिस के बाद रात में आयोजित शादी में शामिल होना आसान होता है। परिवारों के लिहाज से भी शाम से समारोह शुरू कर मध्यरात्रि तक पूरा होना लॉजिस्टिकली अधिक सुविधाजनक माना जाता है।
भारत में सामाजिक मान्यताओं का प्रभाव बहुत अधिक है। एक बार जब किसी चीज को परंपरा का रूप मिल जाता है तो वह पीढ़ियों तक चलती रहती है। चूंकि रात की शादी वर्षों से होती आ रही है, इसलिए लोगों के मन में यह धारणा बन चुकी है कि शादी रात में ही होनी चाहिए।
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इसके अलावा होटल, वेडिंग हॉल और कैटरिंग जैसी सेवाओं में भी रात के वेडिंग स्लॉट्स की ज्यादा मांग रहती है। मैरिज इंडस्ट्री के हिसाब से भी नाइट वेडिंग एक मजबूत और सफल फॉर्मेट बन चुका है।
भारतीय शादियों में खाना और संगीत सबसे बड़ा आकर्षण होता है। रात में मेन्यू का चयन भी बेहतर होता है—गर्म-गर्म खाना, लाइव काउंटर और डांस-फ्लोर पर धमाल का लुत्फ रात में ही ज्यादा आता है।