

बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे चर्चित चेहरा अगर कोई है, तो वह हैं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान। चिराग अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान
Patna News: बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे चर्चित चेहरा अगर कोई है, तो वह हैं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Union Minister Chirag Paswan)। लोकसभा में हाजीपुर से सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सवाल है आखिर क्यों? चिराग पासवान लोकसभा में तो पहले से हैं, फिर विधानसभा की राह क्यों? इस सवाल का जवाब बिहार की बदलती राजनीतिक ज़मीन और चिराग की व्यक्तिगत रणनीति में छुपा है।
चिराग पासवान को लेकर यह लंबे समय से चर्चा है कि वे खुद को सिर्फ केंद्रीय मंत्री या सांसद तक सीमित नहीं रखना चाहते। उनका असली सपना है बिहार की राजनीति में खुद को एक मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के तौर पर पेश करना। इसके लिए उन्हें ज़मीन पर उतरना ज़रूरी है, और विधानसभा चुनाव लड़ना सीधे तौर पर राज्य की राजनीति में पकड़ बनाने का रास्ता है।
सूत्रों के मुताबिक, अपने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में चिराग पासवान से पूछा गया था कि, क्या वे तेजस्वी यादव के क्षेत्र राघोपुर से चुनाव लड़ सकते हैं, तो उनका जवाब बेहद सधा हुआ था। उन्होंने कहा था कि, “मैं हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हूं। तेजस्वी जिस विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं, वो मेरी ही लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है।” इस बयान से साफ है कि चिराग तेजस्वी यादव के गढ़ में सेंध लगाने की पूरी रणनीति के साथ मैदान में उतरना चाहते हैं। यह कदम सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि 2025 के बाद की सियासत की नींव डालने जैसा होगा।
राघोपुर से चुनाव लड़ना केवल सीट का मामला नहीं, बल्कि सियासी संदेश है। अगर चिराग तेजस्वी को उन्हीं की सीट पर टक्कर देते हैं, तो यह संदेश जाएगा कि अब बिहार में सिर्फ लालू परिवार ही विकल्प नहीं — पासवान परिवार भी चुनौती देने को तैयार है।
चिराग ने यह भी कहा है कि वे गठबंधन धर्म का पालन करेंगे और सीटों की संख्या को लेकर कोई टकराव नहीं होगा। लेकिन जहां LJP (रामविलास) की उपस्थिति मजबूत है, वहीं से लड़ने का इरादा है।
जब चिराग पासवान से यह पूछा गया कि क्या वे तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर से चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं, तो उन्होंने जवाब में कहा, “मैं हर परिस्थिति का सामना करने को तैयार हूं। तेजस्वी जिस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं, वह मेरी लोकसभा सीट (हाजीपुर) के अंतर्गत आती है।” यह बयान सिर्फ एक सामान्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि आगामी सियासी रणनीति की तरफ इशारा है।
यदि चिराग राघोपुर से चुनाव लड़ते हैं, तो यह बिहार की राजनीति में एक हाई-वोल्टेज मुकाबला बन जाएगा। तेजस्वी जहां आरजेडी के मुख्यमंत्री पद के चेहरा हैं, वहीं चिराग पासवान एनडीए के अंदर युवा चेहरे और दलित वोट बैंक के प्रभावशाली नेता के तौर पर स्थापित हो चुके हैं।
चिराग ने यह भी कहा कि वे किसी वीआईपी सीट से नहीं, बल्कि एक “सामान्य सीट” से लड़ना चाहते हैं। इस बयान के पीछे का संकेत साफ है — वे खुद को आम जनता के नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं, और यह दर्शाना चाहते हैं कि उनका जनाधार किसी खास सीट तक सीमित नहीं है।
जब उनसे पूछा गया कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो उन्होंने बड़ी सधी हुई बात कही – “मैं गठबंधन धर्म की मर्यादा नहीं तोड़ूंगा। लेकिन जो ताकत है, उसके अनुरूप सीटें मिलनी चाहिए। मैं नंबर नहीं बताऊंगा, लेकिन जहां उपस्थिति मजबूत होगी वहीं लड़ेंगे।” इस बयान से यह साफ है कि चिराग गठबंधन के भीतर अपने दबाव की रणनीति के तहत अधिक सीटों की मांग करेंगे, लेकिन टकराव की स्थिति पैदा नहीं करेंगे।
चिराग पासवान का आत्मविश्वास इस बात से झलकता है कि उन्होंने कहा – “मैं एनडीए का हिस्सा हूं और खुद को 225 से अधिक सीटों पर जीतते हुए देखता हूं। मुझे जितनी सीटें मिलेंगी, मैं उन सभी पर जीत दर्ज करूंगा।” यह बयान चुनावी आत्मविश्वास के साथ-साथ एनडीए के भीतर अपने प्रभाव को जताने का तरीका भी है।
अगर चिराग पासवान सच में राघोपुर से चुनाव लड़ते हैं, तो बिहार की राजनीति में यह मुकाबला तेजस्वी बनाम चिराग की नई सियासी धुरी बना सकता है। जहां तेजस्वी खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के नेता के रूप में प्रोजेक्ट करते हैं, वहीं चिराग युवा, दलित और विकास केंद्रित राजनीति के पोस्टर बॉय बनकर उभरना चाह रहे हैं।