

भीलवाड़ा की बेटी अश्विनी बिश्नोई ने इंटरनेशनल कुश्ती स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। एथेंस, ग्रीस में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में 65 किलोग्राम भारवर्ग में विजय प्राप्त कर अश्विनी ने न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया।
दंगल गर्ल अश्विनी बिश्नोई ने रचा इतिहास
Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह धरती सिर्फ कपड़ा उद्योग ही नहीं, बल्कि कुश्ती के अखाड़ों की भी जन्मभूमि है। इसी जिले की बेटी अश्विनी बिश्नोई ने हाल ही में ग्रीस के एथेंस में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप (अंडर-17) में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का परचम लहराया है।
ऐतिहासिक जीत दर्ज की
अश्विनी ने 65 किलो भार वर्ग में कजाकिस्तान की अनुभवी महिला पहलवान को पराजित करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इससे पहले भी अश्विनी ने 1 जुलाई को वियतनाम में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में भी भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। यही नहीं महज दो दिन बाद उन्होंने एशियाई बीच रेसलिंग चैंपियनशिप में भी विश्व स्तरीय पहलवानों को मात देकर देश के लिए एक और गोल्ड अपने नाम किया।
भीलवाड़ा की दंगल गर्ल
अश्विनी को भीलवाड़ा की ‘दंगल गर्ल’ कहा जाता है और उनका अंतरराष्ट्रीय करियर अब तक स्वर्णिम सफलता से भरा रहा है। पिछले तीन वर्षों में उन्होंने चार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। खास बात यह रही कि हालिया वर्ल्ड चैंपियनशिप में शुरुआती पाँच मुकाबलों में उन्होंने अपने किसी भी विरोधी को एक अंक तक नहीं लेने दिया।
सफलता का इतिहास
अश्विनी का यह मुकाम यूं ही नहीं आया। उनके पिता मुकेश बिश्नोई, जो कि एक कपड़ा मिल में मजदूरी करते हैं, ने शुरू से ही अपनी बेटियों को कुश्ती के लिए प्रोत्साहित किया। प्रतापनगर थाना क्षेत्र में रहने वाले मुकेश का सपना था कि उनकी बेटियां देश के लिए खेलें और उन्होंने इसके लिए हर कठिनाई झेली।
अश्विनी ने पुर कस्बे में स्थित शिव व्यायामशाला में कोच कल्याण बिश्नोई और संचालक जगदीश बिश्नोई की देखरेख में कुश्ती का अभ्यास किया। अश्विनी का कहना है कि इस सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता और सभी कोचों को देती हैं, जिन्होंने उन्हें लगातार प्रेरित किया।
भीलवाड़ा जैसे छोटे शहर से निकलकर विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन करना जहां एक बड़ी उपलब्धि है, वहीं यह अन्य युवा बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। अश्विनी ने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।