

गुजरात के भावनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम के तहत 34,200 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, शिपिंग सेक्टर और भविष्य की योजनाओं पर जोर देते हुए कांग्रेस पर भी निशाना साधा। पीएम ने भारत को समुद्री शक्ति बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
पीएम मोदी का भावनगर से बड़ा संदेश
Gujrat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 20 सितंबर 2025 को गुजरात के भावनगर में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम के तहत ₹34,200 करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने देश को समुद्री शक्ति बनाने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की और आत्मनिर्भर भारत की भावना को एक बार फिर मजबूत किया।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि ये कार्यक्रम तो भावनगर में हो रहा है, लेकिन यह पूरे हिंदुस्तान का है। समंदर से कैसे समृद्धि लाई जाए, इसका रोडमैप आज यहां से तय हो रहा है।
पीएम मोदी का भावनगर से बड़ा संदेश
पीएम मोदी ने अपने भाषण में आत्मनिर्भर भारत को बार-बार दोहराया। उन्होंने कहा कि दुनिया में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है, सिवाय विदेशी निर्भरता के। यह हमारी सबसे बड़ी विफलता है। 100 दुखों की एक ही दवा है- आत्मनिर्भर भारत। उन्होंने कहा कि देश की 140 करोड़ की आबादी को अब निर्भरता के दायरे से बाहर निकलना होगा और चुनौतियों से टकरा कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा।
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पीएम मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस पर भी हमला बोला और कहा कि आज भारत को वो सफलता नहीं मिली, जिसकी वह हकदार था। कांग्रेस की लाइसेंस कोटा राज और विदेशी निर्भरता की नीति ने देश के युवाओं का भविष्य खराब किया। उन्होंने कहा कि यदि आजादी के बाद सही फैसले लिए गए होते तो भारत आज दुनिया की शिपिंग महाशक्ति होता।
पीएम मोदी ने देश में शिपबिल्डिंग को फिर से मजबूत करने की योजना की घोषणा की। सरकार 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगी। बड़े जहाजों को अब इंफ्रास्ट्रक्चर की मान्यता दी गई है। “वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस” और “वन नेशन, वन डॉक्यूमेंट” की नीति लागू होगी। यह कदम भारत को विकसित देशों की सूची में लाने और समुद्री सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाया गया है।
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पीएम मोदी ने बताया कि भारत को अपने 95% व्यापार के लिए विदेशी जहाजों पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे भारत को हर साल लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है, जो हमारे डिफेंस बजट के बराबर है। उन्होंने कहा कि यदि भारत अपने जहाज खुद बनाता, तो विदेशों में नौकरियां नहीं, भारत में रोजगार बढ़ता।