

राहुल गांधी ने संसद में पेश तीन नए विधेयकों पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार देश को मध्यकालीन तानाशाही की ओर ले जा रही है। ये विधेयक नेताओं को 30 दिन की हिरासत के बाद पद से हटाने का प्रावधान करते हैं। विपक्ष ने इसे संविधान पर हमला बताया और विरोध में सदन में भारी हंगामा किया।
राहुल गांधी
New Delhi: लोकसभा में बुधवार को उस समय जमकर हंगामा हुआ, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन नए विधेयक (संविधान 130वां संशोधन विधेयक, केंद्र शासित प्रदेश शासन संशोधन विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक सदन में पेश किए। इन विधेयकों के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार कर 30 दिन तक जेल में रखा जाता है तो 31वें दिन से वे अपने पद से खुद हट जाएंगे।
राहुल गांधी ने क्या कहा?
इस प्रस्तावित कानून का विपक्ष ने तीखा विरोध किया और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे “संविधान पर सीधा हमला” बताते हुए कहा कि सरकार देश को “मध्यकालीन तानाशाही” की ओर ले जा रही है। उन्होंने कहा, “हम उस युग में लौट रहे हैं, जहां राजा मनमानी करता था। अगर राजा को किसी नेता का चेहरा पसंद नहीं आया तो ईडी से गिरफ्तार करवा लिया जाएगा और लोकतांत्रिक रूप से चुना गया नेता 30 दिन में बाहर कर दिया जाएगा।”
राहुल गांधी ने काली टी-शर्ट पहनकर किया विरोध
राहुल गांधी काली टी-शर्ट पहनकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह सरकार लोकतंत्र और संविधान की आत्मा को कमजोर कर रही है। इसका लक्ष्य विपक्ष शासित राज्यों में सरकारों को अस्थिर करना है।
अमित शाह भी तो गिरफ्तार हुए?
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस विधेयक को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए कहा, “जब अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे और गिरफ्तार हुए थे, क्या उन्होंने तब नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था? यह दोहरे मापदंडों का उदाहरण है।”
भाजपा कर रही अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल
सदन में हंगामे के दौरान विपक्षी सांसदों ने विधेयकों की प्रतियां फाड़ दी और जोरदार नारेबाजी की। विपक्ष का आरोप है कि यह कानून सरकार को यह अधिकार देगा कि वह अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को जेल में डालकर पद से हटा सके। सरकार की तरफ से इन विधेयकों को भ्रष्टाचार पर सख्ती के तौर पर पेश किया गया है। सरकारी पक्ष का कहना है कि यदि कोई भी नेता गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता है और 30 दिन से अधिक जेल में रहता है तो उसे पद पर बने रहना उचित नहीं है।