

राजस्थान में महिलाओं और बेटियों के घर छोड़ने की बढ़ती घटनाओं पर भाजपा विधायक भैराराम सियोल ने जताई चिंता। उन्होंने मोबाइल, लव जिहाद और कमजोर पारिवारिक मूल्यों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। विवाह कानून में बदलाव की मांग के साथ उन्होंने समाज से संस्कारों पर ध्यान देने की अपील की।
भाजपा विधायक भैराराम सियोल
Jaipur: राजस्थान के ओसियां से भाजपा विधायक भैराराम सियोल का एक बयान इन दिनों खासा चर्चा में है। उन्होंने राज्य में तेजी से बढ़ रही ऐसी घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है, जहां बेटियां और शादीशुदा महिलाएं घर छोड़कर भाग रही हैं। सियोल का यह बयान हाल ही में ओसिया के प्रसिद्ध सती दादी मंदिर में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान सामने आया, जिसमें उन्होंने इस बढ़ती प्रवृत्ति को “समाज और संस्कृति के लिए खतरनाक संकेत” बताया।
विधायक ने अपने संबोधन में कहा कि अगर 18 से 20 वर्ष की कोई लड़की घर से भागती है तो उसे एक हद तक समझा जा सकता है, लेकिन जब जिम्मेदार उम्र की महिलाएं, जो मां भी हैं, ऐसा कदम उठाती हैं तो यह परिवार, समाज और बच्चों के भविष्य पर बुरा असर डालता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह घटनाएं अब किसी इकाई की समस्या नहीं रही, बल्कि यह पूरे समाज की बुनियादी संरचना को कमजोर कर रही हैं। “अगर परिवार बिखरने लगेंगे तो संस्कार, परंपरा और सामाजिक स्थिरता कैसे बचेगी?” उन्होंने सवाल उठाया।
भाजपा विधायक भैराराम सियोल
विधायक सियोल ने इन घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण मोबाइल फोन और इंटरनेट के अंधाधुंध उपयोग को बताया। उन्होंने कहा कि आजकल महिलाएं और युवा मोबाइल की दुनिया में इतना खो गए हैं कि वे वास्तविक जीवन से कटते जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मोबाइल ने सबको गलत दिशा में मोड़ दिया है। लव मैरिज, लिव-इन रिलेशनशिप और लव जिहाद जैसी घटनाएं इसी तकनीकी बर्बादी का नतीजा हैं। नतीजा यह हो रहा है कि न केवल परिवार टूट रहे हैं, बल्कि समाज की नींव भी दरक रही है।
विधायक ने यह भी जानकारी दी कि उन्होंने हाल ही में राजस्थान विधानसभा में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में संशोधन की मांग रखी है। उन्होंने कहा कि आज विवाह को लेकर जल्दबाजी और भावनाओं में बहकर फैसले लिए जा रहे हैं। अगर कानून में यह प्रावधान कर दिया जाए कि विवाह से पहले माता-पिता की लिखित सहमति अनिवार्य हो, तो इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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अपने संबोधन के दौरान भैराराम सियोल ने यह भी कहा कि वह विधायक का चुनाव जीतने के बावजूद खुश नहीं हैं, क्योंकि लगातार बढ़ती इन घटनाओं ने उन्हें भीतर से व्यथित कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं दिनभर समाज के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें सुनता हूं। मां-बाप रोते हुए मेरे पास आते हैं। किसी की बेटी चली गई, किसी की बहू। कोई बच्चे लेकर अकेला रह गया, तो कोई आत्महत्या की सोचने लगा। क्या यही हमारे समाज का भविष्य है? उन्होंने समाज से अपील करते हुए कहा कि “अपने बच्चों को मोबाइल से ज्यादा संस्कार दें।” साथ ही यह भी कहा कि संस्कार घर से शुरू होते हैं, इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे न सिर्फ बच्चों के खान-पान और पढ़ाई का ध्यान रखें, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक विकास पर भी निगरानी रखें।