राजस्थान विधानसभा में धर्मांतरण बिल पर घमासान: बीजेपी विधायक की ‘घर वापसी’ नसीहत से गरमाया सियासी माहौल, पढ़ें पूरी खबर

राजस्थान विधानसभा में पारित धर्मांतरण बिल पर बीजेपी विधायक की ‘घर वापसी’ की टिप्पणी से सियासी विवाद गहरा गया है। कांग्रेस ने इसे धार्मिक उकसावे की संज्ञा देते हुए विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 11 September 2025, 10:03 AM IST
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Jaipur: राजस्थान विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान पारित हुए धर्मांतरण विरोधी बिल ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है। बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक गोपाल शर्मा द्वारा कांग्रेस के मुस्लिम विधायकों रफीक खान और अमीन कागजी को ‘घर वापसी’ की नसीहत देना अब एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल चुका है। कांग्रेस विधायकों ने इस बयान को धार्मिक उकसावे की श्रेणी में रखते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला है।

क्या कहा गोपाल शर्मा ने?

जयपुर शहर से विधायक गोपाल शर्मा ने सदन में बोलते हुए कहा कि भारत में रहने वाले अधिकतर मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे। भय और दबाव के कारण उन्होंने इस्लाम कबूल किया। ऐसे में, रफीक खान और अमीन कागजी को अब ‘घर वापसी’ कर लेनी चाहिए।

बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा

कांग्रेस विधायकों की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस विधायक रफीक खान ने इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि गोपाल शर्मा का बयान भारत के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि बीजेपी विधायक ने खुलेआम सदन में हमें धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया है। यह बिल पास होते ही सबसे पहले इसी विधायक पर कार्रवाई होनी चाहिए। रफीक खान ने शायरी के अंदाज़ में तंज कसते हुए कहा कि जो नसीहत हमें दी गई, वो खुद पर लागू कर देखिए, अपने झूठे इतिहास को अब सच मान भी लीजिए। धर्म की आड़ में जो राजनीति हो, वो सियासत नहीं, साजिश है।

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क्या बोले अविनाश गहलोत?

राज्य के कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता अविनाश गहलोत ने गोपाल शर्मा का बचाव करते हुए कहा कि गोपाल जी ने कोई गलत बात नहीं कही है। उन्होंने किसी को धर्म बदलने के लिए नहीं कहा, बल्कि पूर्वजों के धर्म में लौटने की बात कही है। विपक्ष जानबूझकर बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है।

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ध्वनि मत से पास हुआ धर्मांतरण बिल

राजस्थान विधानसभा में यह बिल ध्वनि मत से पारित किया गया। हालांकि, कांग्रेस विधायकों ने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया और सदन के भीतर ही अन्य मुद्दों को लेकर हंगामा करते रहे। इस दौरान विपक्ष के कई नेता गैरहाजिर भी रहे।

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