

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने RSS प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की, जिससे उनकी राजनीति में वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं। क्या यह मुलाकात बीजेपी में उनके नए राजनीतिक रोल की ओर इशारा कर रही है?
वसुंधरा राजे की मोहन भागवत से मुलाकात
Rajasthan: राजस्थान की राजनीति में इन दिनों सियासी हलचल तेज़ हो गई है, और इसका मुख्य कारण एक प्रमुख नाम है: वसुंधरा राजे। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इस मुलाकात को वसुंधरा राजे के "वनवास" से वापसी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। आइए, हम इस मुलाकात और इसके संभावित परिणामों को समझने की कोशिश करें।
राजस्थान बीजेपी की सियासत फिलहाल ठहरे हुए पानी जैसी प्रतीत होती है, लेकिन इसके भीतर कई बदलावों और घटनाओं की हलचल हो रही है। राजनीतिक विश्लेषक इसे वसुंधरा राजे की सियासी वापसी के रूप में देख रहे हैं। बुधवार को जोधपुर प्रवास के दौरान राजे ने RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की। जो कि करीब 20 मिनट तक चली। इस मुलाकात के बाद से सियासी हलकों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही वसुंधरा राजे ने धौलपुर में एक धार्मिक मंच से यह बयान दिया था कि “जीवन में हर किसी का वनवास होता है, लेकिन वह स्थायी नहीं होता। वनवास आएगा तो जाएगा भी।” इस बयान को उनके सियासी "वनवास" से लौटने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
वसुंधरा राजे की मोहन भागवत से मुलाकात
BJP में महिला नेतृत्व की आवश्यकता इस समय और भी ज्यादा महसूस की जा रही है, खासकर तब जब महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया गया। वसुंधरा राजे बीजेपी के लिए एक मजबूत महिला नेता के रूप में उभर सकती हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा और अनुभव उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं। राजे की दावेदारी को मजबूत करने वाली प्रमुख वजहों में उनका मजबूत जनाधार, संगठन का अनुभव, और विभिन्न राजनीतिक क्षेत्रों में उनका योगदान है। एक महिला नेता के तौर पर, राजे पार्टी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनका नाम अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के दावेदारों में प्रमुख रूप से लिया जा रहा है।
इस मुलाकात के बाद कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि संघ का कुछ हद तक बीजेपी के मामलों में हस्तक्षेप रहता है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि आरएसएस का बीजेपी के मामलों में कोई विशेष दखल नहीं होता, लेकिन राजनीति में संघ की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात को इसी संदर्भ में देख रहे हैं।
वसुंधरा राजे का सियासी अनुभव अकल्पनीय है। वे 1985 में पहली बार राजस्थान विधानसभा से चुनी गईं और बाद में 1998 से 2003 तक वे केंद्र सरकार में मंत्री रही। 2003 में वे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं और फिर 2013 से 2018 तक इस पद पर बनी रहीं। वे बीजेपी के लिए एक ऐसी नेता हैं, जिनके पास संगठन और सरकार दोनों चलाने का अनुभव है।