

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। जन सुराज पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही है और कई क्षेत्रों में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा रही है। हालिया सर्वे बताते हैं कि पूर्णिया में स्थिरता बनी हुई है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब कुछ ही महीनों की दूरी पर है, और तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों में पूरी ताकत झोंक दी है। इस बार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि चुनावी मैदान में प्रशांत किशोर की पार्टी 'जन सुराज' भी उतरी है, जिसने राज्य की सियासत को नई दिशा दी है।
पूर्णिया क्षेत्र में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम आबादी 46% और अनुसूचित जाति की आबादी 14% है। AScendia के हालिया सर्वे के अनुसार, यहां एनडीए को 2020 में मिली 12 सीटों और 36% वोट शेयर में कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा है। महागठबंधन को 2020 में 7 सीटें और उतना ही वोट प्रतिशत मिला था और इस बार भी आंकड़े लगभग स्थिर हैं। जन सुराज का यहां प्रभाव सीमित बताया जा रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025
भोजपुर की 22 सीटों पर इस बार सबसे अधिक राजनीतिक हलचल देखी जा रही है।
• मुस्लिम आबादी: 9%
• एससी आबादी: 22%
2020 में एनडीए को केवल 2 सीटें और 28% वोट मिले थे, जबकि महागठबंधन ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार जन सुराज सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभर रही है और सर्वे में इसके उभार को स्पष्ट देखा जा सकता है।
कांग्रेस का बड़ा ऐलान: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अकेले उतरने की तैयारी?
सारण में कुल 24 सीटें हैं और यहां मुस्लिम व अनुसूचित जाति की आबादी 15-15% के आसपास है। 2020 में एनडीए के पास 9 सीटें और महागठबंधन के पास 15 सीटें हैं। इस बार भी इन दोनों के बीच टक्कर बताई जा रही है, लेकिन जन सुराज ने यहां परंपरागत दलों की चिंता बढ़ा दी है। सर्वे के मुताबिक, सभी सीटों पर जन सुराज की पकड़ मजबूत होती जा रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों और युवा मतदाताओं के बीच।
पटना क्षेत्र में 21 सीटें हैं।
• मुस्लिम आबादी: 7%
• एससी आबादी: 22%
2020 के आंकड़ों के मुताबिक
• एनडीए: 11 सीटें (39% वोट)
• महागठबंधन: 10 सीटें (38% वोट)
इस बार भी वोट शेयर में कोई बड़ा अंतर नहीं देखा जा रहा है, लेकिन जन सुराज ने शहरी इलाकों में खासतौर पर युवाओं को आकर्षित किया है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पीके की पार्टी यहां कुछ सीटों पर बड़ा उलटफेर कर सकती है।
• युवा मतदाता: बेरोजगारी और शिक्षा के मुद्दे पर जन सुराज युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रही है।
• शहरी मध्यवर्ग: पारंपरिक दलों से नाराज वर्ग जन सुराज की ओर झुकाव दिखा रहा है।
• पारदर्शिता और नया विकल्प: प्रशांत किशोर की छवि और उनकी रणनीतिक पकड़ पार्टी को नई पहचान दे रही है।