ड्रूज़ की आड़ या रणनीति का मास्टरस्ट्रोक? इजरायल का सीरिया पर धावा सिर्फ सुरक्षा नहीं, भू-राजनीतिक दावा भी?

इजरायल द्वारा सीरिया के स्वैदा प्रांत में किए गए बमबारी और सैन्य प्रवेश को केवल ‘ड्रूज़ समुदाय की रक्षा’ के नाम पर देखना बहुत सतही होगा। हकीकत यह है कि यह कार्रवाई उस भू-राजनीतिक जाल का हिस्सा है, जिसमें इजरायल सिर्फ हमलों का जवाब नहीं दे रहा, बल्कि अपनी भविष्य की सुरक्षा और रणनीतिक वर्चस्व की नींव भी रख रहा है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 17 July 2025, 9:39 PM IST
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New Delhi:  इजरायल द्वारा सीरिया के स्वैदा प्रांत में किए गए बमबारी और सैन्य प्रवेश को केवल ‘ड्रूज़ समुदाय की रक्षा’ के नाम पर देखना बहुत सतही होगा। हकीकत यह है कि यह कार्रवाई उस भू-राजनीतिक जाल का हिस्सा है, जिसमें इजरायल सिर्फ हमलों का जवाब नहीं दे रहा, बल्कि अपनी भविष्य की सुरक्षा और रणनीतिक वर्चस्व की नींव भी रख रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, स्वैदा प्रांत, जो सीरिया के दक्षिणी हिस्से में स्थित है और जॉर्डन की सीमा से सटा हुआ है, वहां ड्रूज़ समुदाय बहुसंख्यक है। यह वही इलाका है जहां से अगर ईरान-समर्थित आतंकियों को प्रवेश मिल गया, तो इजरायल की पूर्वी सीमाएं गंभीर खतरे में आ जाएंगी। ऐसे में, ड्रूज़ की ‘रक्षा’ असल में इजरायल के लिए एक परोक्ष दीवार खड़ी करने जैसा है एक बफर ज़ोन, जो न सिर्फ हमलों को रोक सके, बल्कि ईरानी नेटवर्क की घुसपैठ को भी रोक दे।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि ड्रूज़ समुदाय का इजरायल से ऐतिहासिक रिश्ता रहा है – इजरायली सेना में भर्ती, नागरिक अधिकार, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व। यही वजह है कि स्वैदा में ड्रूज़ समुदाय का इजरायली सैनिकों का खुलेआम स्वागत करना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, बल्कि एक ‘सहमति से उपजा गठबंधन’ है, जो अब भौगोलिक रूप लेने लगा है।

वहीं सीरियाई राष्ट्रपति अल-शारा की सरकार इस हस्तक्षेप को अपनी संप्रभुता पर चोट मान रही है और चेतावनी के लहजे में इजरायल को घेरने की बात कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि ड्रूज़ समुदाय खुद अब सीरिया के झंडे को उतार कर इजरायली झंडा फहरा रहा है – यह संकेत केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी है।

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इजरायल का यह हमला सिर्फ बमबारी नहीं, बल्कि सीमाओं को फिर से परिभाषित करने की कवायद है। ड्रूज़ की रक्षा की आड़ में वह सीरिया के दक्षिणी हिस्से में अपनी स्थायी मौजूदगी की पटकथा लिख रहा है – एक ऐसा कदम जो भविष्य में मध्य पूर्व की सामरिक तस्वीर बदल सकता है।

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