

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला कस्बे में एक साधारण दिखने वाले बाबा ताजुद्दीन आशवी बुटीक पर पड़े छापे ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है। यह कोई आम कर चोरी या स्थानीय भूमि विवाद का मामला नहीं निकला बल्कि इसके तार अब पनामा, समुद्री शिपिंग नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग से जुड़ते नजर आ रहे हैं।
छांगुर के नए कनेक्शन का खुलासा
Balrampur: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला कस्बे में एक साधारण दिखने वाले बाबा ताजुद्दीन आशवी बुटीक पर पड़े छापे ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है। यह कोई आम कर चोरी या स्थानीय भूमि विवाद का मामला नहीं निकला बल्कि इसके तार अब पनामा, समुद्री शिपिंग नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग से जुड़ते नजर आ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान जब्त दस्तावेजों से सामने आया कि इस बुटीक के मालिक छांगुर का संबंध विदेश में रजिस्टर्ड एक शेल कंपनी से है, जिसे पनामा में स्थापित किया गया था। बताया जा रहा है कि इस कंपनी में 10,000 डॉलर का निवेश करके उनके करीबी सहयोगी नवीन ने इसे शुरू किया और इसमें कुछ संदिग्ध विदेशी नागरिकों को भी निदेशक पदों पर शामिल किया गया।
एजेंसियों को संदेह है कि यह शेल कंपनी एक बड़े फाइनेंशियल नेटवर्क का हिस्सा है जिसके जरिए करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई। यही नहीं, कुछ दस्तावेजों में विदेशी समुद्री कंपनियों से मेल-जोल, ईमेल संपर्क, और लेन-देन के कागज़ भी पाए गए हैं।
सबसे हैरानी की बात यह है कि छांगुर, जो पहले स्थानीय धार्मिक गतिविधियों और जमीन विवादों तक सीमित माने जाते थे, अब सीधे मैरीटाइम सेक्टर की संदिग्ध गतिविधियों से जुड़े पाए जा रहे हैं। जांच में बलरामपुर और श्रावस्ती स्थित दो प्रमुख धार्मिक शिक्षण संस्थानों मदरसा अहले सुन्नत नुरुल उलूम अत्तेकिया और जामिया नूरिया फातिमा लिलबनात के जरिए फंड ट्रांसफर और प्रभाव संचालन के संकेत मिले हैं।
सूत्रों का दावा है कि तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। कई नाम अब निगरानी सूची में आ चुके हैं, और संबंधित अधिकारियों की फाइलें खंगाली जा रही हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां अब इस केस को केवल वित्तीय अपराध नहीं, बल्कि एक संभावित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के हिस्से के रूप में देख रही हैं। पनामा से भारत तक फैला यह 'शिपिंग शैडो नेटवर्क' अगली बड़ी कार्रवाई का आधार बन सकता है।
अभी इस शेल कंपनी में शामिल विदेशी नागरिकों के नाम उजागर नहीं हुए हैं, लेकिन जांच की रफ्तार बता रही है कि जल्द कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।