Chandauli News: अपात्रों को भूमि पट्टा आवंटन पर ग्रामीणों का हंगामा, डीएम से की न्याय की गुहार

नौगढ़ तहसील के बाघी गांव में दर्जनों ग्रामीणों ने भूमि पट्टा आवंटन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान और सचिव ने पैसे लेकर अपात्रों को लाभ पहुंचाया। डीएम चंद्र मोहन गर्ग ने मामले की जांच के आदेश दिया है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 19 August 2025, 3:22 PM IST
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Chandauli: चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील अंतर्गत बाघी गांव में भूमि पट्टा आवंटन में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग से मिलकर शिकायत दर्ज कराई और न्याय की गुहार लगाई।

चंदौली के बाघी गांव में फूटा ग्रामीणों का गुस्सा

ग्रामीणों का आरोप है कि दिसंबर 2022 में ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से दर्जनों अपात्र लोगों को अवैध रूप से आवासीय पट्टा और सरकारी आवास आवंटित कर दिए गए। सबसे बड़ा आरोप यह है कि जिन लोगों ने प्रधान और सचिव को पैसे नहीं दिए, उन्हें वाजिब हक से वंचित कर दिया गया।

शिकायतकर्ताओं ने उदाहरण देते हुए बताया कि अनुसूचित जाति के राजनाथ धोबी के नाम पर पिछड़ी जाति के राजनाथ यादव को भूमि पट्टा और आवास का लाभ दे दिया गया। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि अनुसूचित जाति के हक पर भी सीधा हमला है।

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क्षेत्र पंचायत नौगढ़

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आज भी कई ऐसे परिवार हैं जो कच्चे और मिट्टी के मकानों में रहने को मजबूर हैं। न तो उन्हें भूमि मिली, न ही सरकारी आवास। इसके उलट, पैसे देकर अपात्रों को लाभ दे दिया गया, जो कि पूरी तरह से भ्रष्टाचार को दर्शाता है।

धोबी के नाम पर यादव को मिला आवासीय पट्टा

शिकायतकर्ता ग्रामीणों ने मीडिया से बात करते हुए कहा- 'हमने न प्रधान को पैसा दिया, न सचिव को। इसलिए हमें आज तक कोई लाभ नहीं मिला। हमारे बच्चे कच्चे घरों में रहते हैं, जबकि जिन्हें लाभ नहीं मिलना चाहिए था, वे आज पक्के मकान में रह रहे हैं।'

डीएम चंद्र मोहन गर्ग ने संज्ञान लेते हुए कहा- ग्रामीणों की शिकायत गम्भीर है। मैंने नौगढ़ एसडीएम को जांच के निर्देश दिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद नियम संगत कार्रवाई की जाएगी और जो पात्र हैं उन्हें उनका लाभ दिलाया जाएगा।

डीएम ने दिए जांच के आदेश

यह मामला शासन-प्रशासन की योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में हो रही लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर किया है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह न केवल ग्रामीणों के अधिकारों का हनन होगा, बल्कि शासन की योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे।

बाघी गांव के इस प्रकरण ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि ग्राम स्तर पर निगरानी न हो, तो सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता। डीएम के हस्तक्षेप से ग्रामीणों में उम्मीद जगी है कि अब उन्हें भी न्याय मिलेगा।

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