भारत-UK समझौते से किसे होगा सबसे बड़ा फायदा – किसान, युवा या लंदन?” जानिए FTA पर क्या बोले PM मोदी

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच वर्षों से लंबित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर आखिरकार मुहर लग गई है। लेकिन यह डील सिर्फ व्यापार की नहीं, बल्कि दो लोकतंत्रों की वैचारिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक साझेदारी का भी दस्तावेज बन गई है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 24 July 2025, 4:39 PM IST
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New Delhi: भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच वर्षों से लंबित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर आखिरकार मुहर लग गई है। लेकिन यह डील सिर्फ व्यापार की नहीं, बल्कि दो लोकतंत्रों की वैचारिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक साझेदारी का भी दस्तावेज बन गई है।

क्यां हुई दोनों पीएम के बीच बात? 

सूत्रों के अनुसा र, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कियर स्टारमर के बीच हुई ऐतिहासिक बातचीत में सिर्फ टैक्स और टैरिफ नहीं गिने गए, बल्कि आतंकवाद, वैश्विक स्थिरता और शिक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी स्पष्ट रुख सामने आया। पीएम मोदी ने जहां पहलगाम  आतंकी हमले पर ब्रिटेन की एकजुटता की सराहना की, वहीं उन्होंने यह भी कहा कि अब 'डेमोक्रेसी की आड़ में छुपने वालों को जवाबदेह ठहराने का वक्त आ गया है।'

Photo of Prime Minister Narendra Modi's UK visit (Source X)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ब्रिटेन दौरे की फोटो (सोर्स एक्स)

इन लोगों को मिलेगा लाभ

इस समझौते से भारत के किसानों और MSMEs को नया बाज़ार मिलेगा, जबकि ब्रिटेन को सस्ते और कुशल श्रम बल के साथ भारतीय कृषि और तकनीक में प्रवेश का मौका मिलेगा। खाद्य प्रसंस्करण से लेकर हेल्थ टेक्नोलॉजी और रक्षा निर्माण तक, यह समझौता दोनों देशों को ‘विन-विन’ मॉडल की तरफ ले जाएगा।

भारत में छह ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने की घोषणा ने शिक्षा क्षेत्र को भी इस डील का मजबूत स्तंभ बना दिया है। इसमें साउथ हैम्पटन यूनिवर्सिटी ने सबसे पहले गुरुग्राम में अपना संचालन शुरू किया है, जो आने वाले समय में भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य को बदल सकता है।

डिप्लोमेसी में भी फ्रंटफुट पर खेलने को तैयार

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, "क्रिकेट हमारी साझेदारी का प्रतीक है  कभी स्विंग, कभी चूक, पर हम सीधा बल्ला चलाते हैं।" यह एक स्पष्ट संकेत था कि भारत अब डिप्लोमेसी में भी फ्रंटफुट पर खेलने को तैयार है। डील की सबसे अहम बात यह रही कि दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड को खारिज किया, और चरमपंथी ताकतों को लोकतंत्र के मंच से बाहर करने पर सहमति जताई। ‘विजन 2035’ के तहत अब भारत और ब्रिटेन केवल कारोबारी साझेदार नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के साझेदार बनने जा रहे हैं। यह समझौता एक कागज भर नहीं, बल्कि अगले दशक की कूटनीतिक दिशा तय करने वाली नींव है।

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