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ऐतिहासिक लोक दिल्ली में भाजपा सांसद अनिल बलूनी के आवास पर उत्तराखंड का पारंपरिक पर्व ‘इगास बग्वाल’ धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेता मौजूद रहे। पहाड़ी लोकगीत, पारंपरिक व्यंजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उत्तराखंड की झलक पेश की।
कार्यक्रम में शामिल हुई हस्तियां (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
New Delhi: लोकसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी द्वारा शुक्रवार शाम को देश की राजधानी दिल्ली में उत्तराखंड के पारंपरिक और सांस्कृतिक पर्व इगास बग्वाल का शानदार आयोजन किया गया। दिवाली के 11 दिनों बाद प्रबोधिनी एकादशी पर मनाई जाने वाली इगास बग्वाल की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख अजीत डोभाल समेत राजनीति, न्यायपालिका, ब्यूरोक्रेसी, उद्योग जगत समेत तमाम क्षेत्रों की दिग्गज हस्तियां मौजूद रहीं।
उत्तराखंड की गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद अनिल बलूनी और उनकी पत्नी दीप्ति बलूनी ने इगास बग्वाल पर पधारे देश भर के सभी अतिथियों का स्वागत किया। उनके आवास पर आयोजित इगास बग्वाल के शुभारंभ से उत्तराखंड की परंपरा और संस्कृति दिल्ली में जगमगा उठी।
इस खास अवसर पर बलूनी के आवास पर गढ़वाली लोकगीतों की धुन गूंज उठी। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर लोगों ने नृत्य किया। झंगोरा की खीर, चैंसू, भट्ट की दाल और मंडुवे की रोटी जैसे उत्तराखंडी व्यंजनों ने माहौल को और भी खास बना दिया। हर ओर घर जैसा अपनापन महसूस हो रहा था।
इगास पार्टी में शामिल हुए गृह मंत्री अमित शाह (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
इस खास मौके पर, सांसद अनिल बलूनी ने इगास के बारे में सबको बताया और कार्यक्रम का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा लोगों को अपनी संस्कृति और भाषा पर गर्व करने के लिए प्रेरित करते हैं। मोदी जी कहते हैं कि हम जहां भी रहें, हमें अपनी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। यही भावना इस उत्सव के पीछे है।"
बलूनी ने बताया कि दिल्ली में इगास मनाने का उद्देश्य उत्तराखंड की संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना और एकता का संदेश देना है।
दीप प्रज्जवलित करती हुई दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता (सोर्स- एक्स, अनिल बलूनी)
यह शाम सिर्फ एक त्योहार नहीं थी, बल्कि एक सांस्कृतिक सेतु भी बनी। विभिन्न मंत्रालयों के नेता एक साथ बैठे, पहाड़ी संगीत सुना और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लिया। इससे न सिर्फ आपसी मेलजोल बढ़ा बल्कि उत्तराखंड की पहचान को भी नई ऊंचाई मिली। बलूनी ने सभी मेहमानों का आभार जताते हुए कहा, “इगास सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ने की भावना है।”
इस उत्सव में दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले उत्तराखंड समुदाय के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। कई लोगों ने कहा कि इस आयोजन से उन्हें अपने गांव-घर की याद आ गई। यह न सिर्फ एक धार्मिक पर्व था बल्कि अपनी पहचान और विरासत को जीवित रखने का एक सुंदर प्रयास भी था।
इगास की पूजा करते हुए अमित शाह और अनिल बलूनी (सोर्स- एक्स, अनिल बलूनी)
इगास बग्वाल, जिसे बूढ़ी दिवाली भी कहा जाता है। यह पर्व दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है। मान्यता है कि जब भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो हिमालय के पहाड़ों में यह खबर देर से पहुंची। इसलिए वहां के लोगों ने 11 दिन बाद दीये जलाकर दिवाली मनाते हैं। यही परंपरा आज भी उत्तराखंड में इगास बग्वाल के रूप में जारी है। इस दिन मवेशियों की पूजा, लोकगीत, नृत्य और सामूहिक भोज का आयोजन होता है।
बलूनी के बगीचे में ढोल दमाऊ की थाप गूंज रही थी, पारंपरिक कपड़ों में लोग नाच-गा रहे थे और राज्य के प्रसिध्द व्यंजन का आनंद ले रहे थे। यह दृश्य किसी मिनी उत्तराखंड से कम नहीं था। इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि भारत की विविध संस्कृति जब एक साथ आती है, तो उसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है।
कार्यक्रम में लोकगीत का आयोजन (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
कार्यक्रम का समापन सभी अतिथियों के सामूहिक दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। सांसद बलूनी ने कहा कि इगास बग्वाल सिर्फ त्योहार नहीं बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करने का माध्यम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में यह परंपरा और भी बड़े स्तर पर मनाई जाएगी।