

बैंक ऑफ बड़ौदा की शिमला शाखा में एक वरिष्ठ अधिकारी पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा है। आरोपी ने खुद कबूल किया कि उसने निजी लाभ के लिए रकम ट्रांसफर की। पुलिस और बैंक की संयुक्त जांच जारी है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
Shimla: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक शाखा में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी पर ₹3.70 करोड़ की हेराफेरी करने का गंभीर आरोप लगा है। यह घोटाला तब सामने आया जब बैंक प्रबंधन को खातों में संदिग्ध लेनदेन की जानकारी मिली और इसकी जांच की गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपी अधिकारी ने 22 और 27 अगस्त 2025 के बीच एक संस्था के खाते से बड़ी रकम एक महिला के व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर की। इस प्रक्रिया में संस्था से अनुमति नहीं ली गई थी। इसके बाद यह राशि अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करके धीरे-धीरे नकद के रूप में निकाली गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा के डिप्टी रीजनल मैनेजर ने इस घोटाले की शिकायत छोटा शिमला थाना पुलिस को दी। शिकायत के आधार पर तुरंत कार्रवाई की गई और संबंधित खातों की जांच शुरू कर दी गई। प्राथमिक जांच में यह सामने आया कि एक ही शाखा में कार्यरत वरिष्ठ प्रबंधक ने पूरी योजना को अंजाम दिया।
पुलिस ने तत्काल उस खाते को फ्रीज कर दिया है जिसमें अभी तक ₹90.95 लाख शेष हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह केवल शुरुआत है और इस मामले में अन्य कई लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस के साथ-साथ बैंक का आंतरिक ऑडिट विभाग और साइबर सेल भी मामले की गहन जांच कर रहे हैं।
अधिकारी पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी का आरोप
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी अधिकारी ने 7 सितंबर को लिखित रूप से स्वीकार किया कि उसने यह घोटाला अज्ञात व्यक्तियों की मिलीभगत से निजी लाभ के लिए किया। इस कबूलनामे के बाद उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 316(5) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
पुलिस अब उन अन्य व्यक्तियों की पहचान करने में जुटी है जो इस गबन में शामिल थे या जिन्होंने आरोपी की मदद की। इस घोटाले के सामने आने के बाद शिमला में बैंक ग्राहकों के बीच डर और चिंता का माहौल बन गया है। लोग अपने खातों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
हालांकि, बैंक प्रबंधन ने भरोसा दिलाया है कि ग्राहकों के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी और इस घटना से किसी भी ग्राहक को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। दोषियों को कानून के अनुसार सख्त सजा दिलाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
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यह घटना देशभर के बैंकिंग सेक्टर को सतर्क कर देने वाली है। आंतरिक सुरक्षा और ऑडिटिंग सिस्टम की मजबूती पर एक बार फिर से सवाल उठे हैं। बैंक कर्मचारियों की निगरानी और ट्रांजेक्शन की पारदर्शिता को सुनिश्चित करना अब समय की मांग बन गई है।