सद्गुरु का चेतना, विज्ञान और आध्यात्मिकता पर गहन संवाद, नासा के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हुए

सद्गुरु का चेतना, विज्ञान, आध्यात्मिकता और वैश्विक प्रभाव 2025 कार्यक्रम के दौरान अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और डॉ. काव्या मन्यापु के साथ चर्चा किया गया। इस सत्र में अंतरिक्ष अन्वेषण और मानव चेतना के महत्व पर विचार किए।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 13 October 2025, 6:33 PM IST
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New Delhi: 2025 का चेतना, विज्ञान, आध्यात्मिकता और वैश्विक प्रभाव कार्यक्रम का दूसरा दिन अत्यंत प्रेरणादायक और गहन चर्चाओं से भरा रहा। सद्गुरु ने नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और नासा की अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. काव्या मन्यापु के साथ एक संवाद सत्र आयोजित किया, जिसमें अंतरिक्ष अन्वेषण और मानवता की चेतना के बीच के रिश्ते पर विचार-विमर्श किया गया। यह कार्यक्रम हार्वर्ड टीचिंग स्कूल के बेथ इज़राइल डीकॉन्स मेडिकल सेंटर में आयोजित किया गया था, जो सद्गुरु सेंटर फॉर कॉन्शियस प्लैनेट (SCCP) द्वारा प्रायोजित था।

ब्रह्मांड के बाहर और भीतर यात्रा

कार्यक्रम का मुख्य विषय "सचेतन अंतरिक्ष अन्वेषण" था, जिसमें यह सवाल उठाया गया कि इंसान बाहरी दुनिया को समझने की कोशिश करता है, लेकिन क्या वह अपने अंदर की दुनिया को भी उतना ही समझता है? इस सत्र में सद्गुरु ने बताया कि दोनों प्रकार के अन्वेषणों का उद्देश्य अंततः मानवता की समझ और क्षमता को बढ़ाना है। बाहरी अन्वेषण का उद्देश्य जहां ब्रह्मांड की विशालता को समझना है, वहीं आंतरिक अन्वेषण का उद्देश्य मानव चेतना और अस्तित्व के रहस्यों को उजागर करना है।

Sunita Williams and Dr. Kavya Manyapu

सद्गुरु, सुनीता विलियम्स और डॉ. काव्या मन्यापु

मानवता के संघर्षों को अंतरिक्ष में नहीं लाना चाहिए

कार्यक्रम में सद्गुरु ने चेतावनी दी कि यदि हम अपनी मानसिकता में विभाजन और भेदभाव को बनाए रखते हैं, तो हम उन मुद्दों को अंतरिक्ष में भी ले जाएंगे, जिनसे हमारा ग्रह पहले ही जूझ रहा है। उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे हम और अधिक सशक्त होते जाते हैं, हमें अपने दृष्टिकोण को और अधिक समावेशी बनाना होगा, ताकि हम और हमारी पूरी दुनिया खतरे में न पड़ें।"

सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने का अनुभव

सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में बिताए अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, "जब आप पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखते हैं, तो आपको कोई सीमाएँ नहीं दिखाई देतीं। आपको बस एक छोटी सी मिट्टी की गेंद दिखती है, जो विशाल ब्रह्मांड में तैर रही है। यह दृश्य यह एहसास कराता है कि हम सभी एक ही ग्रह पर हैं और हमें एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से सहअस्तित्व बनाए रखना चाहिए।"

सुनीता ने यह भी बताया कि अंतरिक्ष में बिताए समय ने उन्हें वर्तमान क्षण में पूरी तरह से उपस्थित रहने की क्षमता दी, और यह एक गहरी एकाग्रता का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, "अंतरिक्ष में होने का सबसे बड़ा उपहार यह था कि मैं किसी भी क्षण में पूरी तरह से उपस्थित रह सकता था। पृथ्वी पर लौटने पर सबसे मुश्किल बात यह थी कि मैं अपनी पूरी उपस्थिति को बनाए रखने के लिए संघर्ष करता था, क्योंकि यहां हर समय अव्यवस्थाएँ और विघ्न होते हैं।"

विज्ञान और चेतना का संगम

डॉ. काव्या मन्यापु, जिन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान में अपने योगदान से एक नई दिशा दी है, ने इस सत्र में बताया कि कैसे विज्ञान और चेतना के बीच का संबंध लगातार विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा, "विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है। यह दोनों एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि दोनों का उद्देश्य ब्रह्मांड और हमारी अस्तित्व की समझ को बढ़ाना है।"

कार्यक्रम का महत्व और भविष्य की दिशा

यह दो दिवसीय सम्मेलन, जिसमें विश्वभर के प्रमुख वैज्ञानिक, आध्यात्मिक नेता और विचारक शामिल हुए, ने मानवता के भविष्य, चेतना और वैज्ञानिक खोज के संगम पर जोर दिया। सम्मेलन में स्वामी सर्वप्रियनंदा, जूड करीवन, डॉ. डीन राडेन और डॉ. विक्रम पटेल जैसे विभिन्न विद्वानों ने चेतना और वैश्विक प्रभाव पर विचार किया। यह कार्यक्रम यह स्पष्ट करता है कि भविष्य में मानवता के लिए क्या महत्वपूर्ण है: सहयोग, चेतना और विज्ञान का सकारात्मक प्रभाव।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 13 October 2025, 6:33 PM IST

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