सोशल मीडिया से शुरू हुआ रिश्ता, पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जज ने की सख्त टिप्पणी, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने एक शादीशुदा महिला द्वारा रेप के आरोप में दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि शादीशुदा होते हुए किसी दूसरे पुरुष से रिश्ता बनाना भी कानूनन गलत है। महिला आरोपी को अग्रिम जमानत दिए जाने का विरोध कर रही थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने महिला की परिपक्वता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह खुद अपने फैसलों की जिम्मेदार है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 17 July 2025, 3:03 PM IST
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New Delhi: एक शादीशुदा महिला द्वारा रेप के आरोप लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि शादीशुदा होते हुए किसी दूसरे पुरुष से रिश्ता बनाना भी कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। महिला आरोपी को अग्रिम जमानत दिए जाने का विरोध कर रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सभी तर्कों को खारिज कर दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला 2016 में शुरू हुआ जब बिहार की एक शादीशुदा महिला की सोशल मीडिया के जरिए एक व्यक्ति से जान-पहचान हुई। महिला का आरोप है कि उस व्यक्ति ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और जब महिला ने 2025 में पति से तलाक ले लिया तो आरोपी शादी से मुकर गया। इससे आहत होकर महिला ने आरोपी पर बलात्कार का मामला दर्ज कराया।

महिला ने अग्रिम जमानत को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

महिला ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसमें आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी गई थी। महिला की दलील थी कि आरोपी ने उसे बार-बार होटल बुलाकर शारीरिक संबंध बनाए और शादी का झांसा देकर धोखा दिया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

बुधवार 16 जुलाई 2025 को जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई करते हुए महिला की याचिका को खारिज कर दिया और तीखी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा आप शादीशुदा महिला हैं, दो बच्चों की मां हैं और एक मैच्योर महिला हैं। आपको इस रिश्ते की पूरी समझ थी, फिर भी आपने शादीशुदा होते हुए यह संबंध बनाया।

'बार-बार होटल क्यों जाती थीं?'

जब महिला के वकील ने यह कहा कि आरोपी उसे बार-बार होटल बुलाता था, तो कोर्ट ने जवाब में कहा आप उसके बुलाने पर बार-बार जाती क्यों थीं? यह आपकी स्वेच्छा से किया गया निर्णय था। आप खुद उस रिश्ते में गईं। अब यह दावा करना कि यह रेप था, स्वीकार्य नहीं है।

“शादी का वादा, तलाक और बाद में इंकार”

महिला का आरोप था कि आरोपी ने शादी का वादा कर उसे 6 मार्च 2025 को तलाक लेने के लिए मजबूर किया। लेकिन तलाक के बाद जब उसने शादी की बात की तो आरोपी मुकर गया। कोर्ट ने इस पर स्पष्ट किया कि तलाक के बाद आरोपी ने महिला के साथ कोई शारीरिक संबंध नहीं बनाया, इसलिए बलात्कार का आरोप टिकता नहीं है।

हाईकोर्ट ने दी थी अग्रिम जमानत

पटना हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट ने माना कि महिला और आरोपी के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे और तलाक के बाद किसी प्रकार का शारीरिक संपर्क नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा और कहा कि तथ्यों के आधार पर यह मामला बलात्कार का नहीं बनता।

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