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दिल्ली लाल किला ब्लास्ट केस में आरोपी जसीर बिलाल वानी ने NIA कोर्ट में वकील से मुलाकात की अनुमति मांगी है। वानी आतंकी उमर-उन-नबी का सक्रिय सह-साजिशकर्ता बताया गया है। NIA ने उसे श्रीनगर से गिरफ्तार कर 10 दिन की कस्टडी में लिया है। पढ़ें पूरा मामला।
लाल किला ब्लास्ट केस में नया मोड़ (img source: Google)
New Delhi: दिल्ली के लाल किले के बाहर 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट मामले में जांच तेज हो गई है। इस हाई-प्रोफाइल आतंकी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सामने एक नया मोड़ तब आया, जब आरोपी जसीर बिलाल वानी ने एनआईए कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर अपने वकील से मुलाकात की अनुमति मांगी।
पटियाला हाउस स्थित NIA कोर्ट आज इस याचिका पर सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि वानी की यह अर्जी मामले की आगे की कार्यवाही को प्रभावित कर सकती है।
NIA के अनुसार जसीर बिलाल वानी जम्मू-कश्मीर के काजीगुंड (अनंतनाग) का रहने वाला है और इस पूरी साजिश में आतंकी उमर-उन-नबी का सक्रिय सह-साजिशकर्ता है। एजेंसी का दावा है कि वानी न केवल हमले की प्लानिंग में शामिल था, बल्कि उसने आतंकी मॉड्यूल को तकनीकी सहायता भी दी। जांच में यह सामने आया कि वानी ड्रोन को मॉडिफाई कर रहा था और उसे इस तरह तैयार कर रहा था कि उनका इस्तेमाल विस्फोटक हमलों में किया जा सके।
NIA ने 17 नवंबर को श्रीनगर से गिरफ्तार किए गए जसीर वानी को दिल्ली की अदालत में पेश किया। सुनवाई के बाद अदालत ने उसे 10 दिन की NIA कस्टडी में भेजने का आदेश दिया, ताकि एजेंसी उससे विस्तार से पूछताछ कर सके और पूरी साजिश की परतें खोली जा सकें। जांच एजेंसी का कहना है कि वानी इस हमले में तकनीकी रूप से बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था और साजिश के हर चरण से जुड़ा हुआ था।
श्रीनगर से गिरफ्तार आरोपी
NIA के मुताबिक, वानी को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह पिछले कुछ महीनों से एक्टिव था।
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एजेंसी का दावा है कि—
NIA ने कोर्ट में कहा कि जसीर वानी इस साजिश का शुरुआती सदस्य था और हमले की योजना बनाते समय इससे जुड़ी हर गतिविधि में इसकी भूमिका सामने आई है। इसलिए उससे आगे भी गहन पूछताछ जरूरी है। अदालत में पेश के दौरान NIA ने कहा कि वानी का नेटवर्क बड़ा है और उससे पूछताछ के बाद और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।
10 नवंबर को लाल किले के बाहर एक कार में विस्फोट हुआ था। इस हमले में 14 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। इसके बाद NIA ने जांच अपने हाथ में लेकर कई जगह छापेमारी की और उमर-उन-नबी समेत कई संदिग्धों को पकड़ा। इस केस को आतंक विरोधी एजेंसियों ने बेहद गंभीर बताया है, क्योंकि इसमें नए तरह की तकनीक, ड्रोन और मॉडिफाइड डिवाइसेज़ का इस्तेमाल शामिल था।