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अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भर दी है। एयरफोर्स स्टेशन का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने अधिकारियों से विमान की तकनीक और सुरक्षा रणनीति पर जानकारी ली। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल लड़ाकू विमान में भरी उड़ान
Ambala: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भर दी है। राष्ट्रपति मुर्मू के इस कार्यक्रम के लिए वायुसेना और स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। एयरफोर्स स्टेशन और आसपास के इलाके को नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया गया है।
राष्ट्रपति का एयरफोर्स स्टेशन आगमन अत्यंत भव्य और औपचारिक रहा। सबसे पहले उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात की और एयरफोर्स की विभिन्न यूनिट्स का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान राष्ट्रपति ने राफेल विमान की तकनीक, परिचालन प्रणाली और सुरक्षा रणनीति के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भर दी है। उनके इस कार्यक्रम के लिए वायुसेना और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।@rashtrapatibhvn #DroupadiMurmu #Rafale #FighterJet #Ambala pic.twitter.com/uubfle3ZiM
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 29, 2025
राष्ट्रपति के कार्यक्रम को देखते हुए अंबाला प्रशासन और वायुसेना ने सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह कड़ा कर दिया है। अंबाला SP अजीत सिंह शेखावत ने बताया कि एयरफोर्स स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस, एसपीजी और एयरफोर्स की टीमें तैनात की गई हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे क्षेत्र को नो ड्रोन जोन घोषित किया गया है।
भारत ने फ्रांस से खरीदे गए राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप 27 जुलाई 2020 को प्राप्त की थी। ये विमान सबसे पहले अंबाला एयरबेस पहुंचे थे। राष्ट्रपति के निरीक्षण और उड़ान कार्यक्रम से वायुसेना की शक्ति और तकनीकी क्षमता को आम जनता के समक्ष प्रदर्शित किया जाएगा।
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह भी कार्यक्रम में उपस्थित हैं। राष्ट्रपति मुर्मू एयरफोर्स के अधिकारियों और जवानों को संबोधित करेंगी और उन्हें हौसला बढ़ाएंगी।
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान राफेल विमानों का इस्तेमाल किया था।