

NCERT ने भारत-पाकिस्तान बंटवारे पर आधारित एक नया मॉड्यूल जारी किया है, जिसमें तीन प्रमुख पात्रों, जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को विभाजन के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है। यह मॉड्यूल स्टूडेंट्स को बंटवारे की जमीनी सच्चाई, उसकी वजहों और उसके दीर्घकालिक प्रभावों से रूबरू कराता है।
NCERT का नया मॉड्यूल जारी (Img: Google)
New Delhi: भारत की आज़ादी का इतिहास जितना गौरवशाली है, उतना ही पीड़ादायक है उसका बंटवारा। लाखों लोगों का विस्थापन, असंख्य मौतें और सामाजिक ताने-बाने का बिखराव, ये सब आज़ादी के जश्न के साथ ही देश के दिल में एक गहरे ज़ख्म की तरह दर्ज हो गया। इस त्रासदी को भावी पीढ़ियों तक सही रूप में पहुंचाने के लिए NCERT ने एक विशेष Partition Module जारी किया है।
यह मॉड्यूल खासतौर से कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। Partition Horrors Remembrance Day (14 अगस्त) के अवसर पर जारी इस मॉड्यूल का उद्देश्य है कि बच्चे इतिहास को सिर्फ तारीखों और घटनाओं के रूप में न पढ़ें, बल्कि उसकी जड़ों और प्रभावों को भी समझें।
मॉड्यूल की खास बातें
NCERT ने इस मॉड्यूल में तीन प्रमुख नामों को विभाजन का जिम्मेदार ठहराया है-
मोहम्मद अली जिन्ना
जिन्ना को पाकिस्तान की मांग और अलग मुस्लिम राष्ट्र की ज़िद के लिए मुख्य रूप से दोषी बताया गया है। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने का रास्ता अपनाया, जिससे देश का विभाजन हुआ।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
खासकर नेहरू और पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने परिस्थितियों के सामने झुकते हुए विभाजन को स्वीकार कर लिया। मॉड्यूल के अनुसार, कांग्रेस ने गृहयुद्ध की आशंका के चलते यह "कड़वा फैसला" लिया।
लॉर्ड माउंटबेटन
भारत में ब्रिटिश सत्ता के अंतिम वायसराय माउंटबेटन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया को जल्दबाजी में अंजाम दिया। उन्होंने पहले तय की गई तारीख (जून 1948) के बजाय 15 अगस्त 1947 को ही विभाजन लागू कर दिया, जिससे रेडक्लिफ लाइन जैसे सीमांकन अधूरे रह गए और हिंसा भड़क उठी।
क्या विभाजन जरूरी था?
मॉड्यूल में यह स्पष्ट किया गया है कि विभाजन अनिवार्य नहीं था। यह गलत राजनीतिक निर्णयों, विचारधाराओं और परिस्थितियों का परिणाम था। नेहरू ने इसे “गृहयुद्ध की संभावना से बेहतर विकल्प” बताया, जबकि महात्मा गांधी ने इसका शांतिपूर्ण विरोध किया था। सरदार पटेल ने इसे “कड़वा इलाज” कहा था।
विभाजन की कीमत आज भी चुकानी पड़ रही
NCERT ने मॉड्यूल में यह भी बताया है कि विभाजन का असर सिर्फ 1947 में नहीं हुआ, बल्कि इसका असर आज तक देखा जा सकता है। भारत-पाक तनाव, कश्मीर विवाद, बढ़ता रक्षा खर्च और धार्मिक असहिष्णुता, ये सभी उस ऐतिहासिक गलती के परिणाम हैं।