जाते-जाते मानसून ने ढाया कहर: मणिपुर समेत पूरे उत्तर-पूर्व और हिमालयी राज्यों में तबाही, जनजीवन अस्त-व्यस्त

पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में मानसून के अंतिम चरण में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही मच गई है। मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और हिमाचल में जनजीवन ठप हो गया है। प्रशासन और राहत एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 15 September 2025, 7:53 AM IST
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New Delhi: देश के पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में मानसून के अंतिम चरण ने एक बार फिर तबाही मचा दी है। मणिपुर, नगालैंड, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान भारी बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। इस कहर में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है, हजारों की जिंदगी प्रभावित हुई है और अरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ है।

मणिपुर में जलप्रलय और भूस्खलन

मणिपुर में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण इंफाल और उसके आसपास के इलाकों में अचानक बाढ़ आ गई है। पूर्वी इंफाल के यिंगांगपोकपी, संटी खोंगबल और सबुंगखोक खुनोउ तथा पश्चिमी इंफाल के काकवा और सागोलबंद क्षेत्र पानी में डूब गए हैं। नोनी, सेनापति और कामजोंग जैसे पहाड़ी जिलों में भारी भूस्खलन की खबरें आई हैं, जिससे कई सड़कें बंद हो गई हैं। इंफाल नदी, नम्बुल और इरिल जैसी प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। जल संसाधन विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है, लेकिन हालात बिगड़ने की पूरी आशंका बनी हुई है।

जाते-जाते मानसून ने ढाया कहर

सिक्किम में पंचायत अध्यक्ष की मौत

सिक्किम के ग्यालशिंग जिले में भूस्खलन से 47 वर्षीय पंचायत अध्यक्ष राजेन गुरुंग की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वह अपने घर के पास भूस्खलन की चपेट में आ गए और मलबे में दब गए। इस दर्दनाक हादसे ने स्थानीय लोगों में भय और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं।

जम्मू-कश्मीर में फिर भूस्खलन

जम्मू-कश्मीर के कटड़ा में लगातार बारिश के चलते माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर फिर से भूस्खलन हुआ है। सांझी छत और भवन मार्ग पर भारी मलबा जमा हो गया है। श्राइन बोर्ड के कर्मचारी मलबा हटाने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि यह यात्रा पहले ही पिछले 20 दिनों से बंद है, जब अर्धकुंवारी के पास हुए एक भयंकर भूस्खलन में 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। रविवार से यात्रा को फिर से शुरू किया जाना था, लेकिन मौसम को देखते हुए उसे आगे स्थगित कर दिया गया है।

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नगालैंड में भीषण जलभराव

नगालैंड में भारी बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-29 पर कीचड़ और मलबा आ गया है, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। एक बेली पुल पानी में डूब गया है, जिससे दो गांवों के बीच संपर्क पूरी तरह कट गया है। प्रशासन द्वारा वैकल्पिक मार्गों की तलाश की जा रही है।

हिमाचल प्रदेश में हालात चिंताजनक

हिमाचल प्रदेश में मानसून के अंतिम चरण में भी हालात बेहद खराब हैं। राज्य में अभी भी 647 सड़कें बंद पड़ी हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल हैं। भूस्खलन के कारण जगह-जगह मलबा जमा हो गया है। इसके अलावा, 343 जल आपूर्ति योजनाएं और 185 बिजली के ट्रांसफार्मर काम नहीं कर रहे हैं, जिससे हजारों लोगों को पीने का पानी और बिजली नहीं मिल रही है। मानसून के दौरान अब तक हिमाचल में 404 लोगों की मौत हो चुकी है, 462 लोग घायल हुए हैं और 41 अभी भी लापता हैं।

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प्रशासन और राहत एजेंसियां अलर्ट पर

इन सभी राज्यों में प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। आपदा प्रबंधन दल, एनडीआरएफ और सेना की टीमें कई स्थानों पर तैनात की गई हैं। राहत कैंप बनाए गए हैं और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

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