लहर सिंह सिरोया ने गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में की शिरकत, गुरु जी को दी श्रद्धांजलि

सांसद लहर सिंह सिरोया अमित हॉल, गुरुद्वारा उल्सूर में आयोजित एक अंतरधार्मिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। गुरु जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका बलिदान और साहस भारत की सभ्यतागत शक्ति का सदा याद दिलाने वाला प्रतीक है। पढ़ें पूरी खबर

Updated : 23 November 2025, 3:31 PM IST
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Punjab News: भाजपा सांसद लहर सिंह सिरोया अमित हॉल, गुरुद्वारा उल्सूर में आयोजित एक अंतरधार्मिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। यह कार्यक्रम श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत की 350वीं वर्षगांठ को समर्पित था।

भारत की विविधता में एकता

सिरोया ने गुरु जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका बलिदान और साहस भारत की सभ्यतागत शक्ति का सदा याद दिलाने वाला प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता में एकता ही देश की असली ताकत है।

“सबका साथ, सबका विकास

सिरोया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास” के विज़न का उल्लेख करते हुए कहा कि आज विकास बिना किसी भेदभाव के हर नागरिक तक पहुंच रहा है। कार्यक्रम में कर्नाटक स्टेट अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन निसार अहमद, रेवरेन्ड डॉ. थॉमस, और श्री गुरु सिंह सभा के प्रेसीडेंट पृथपाल सिंह भाटिया, डॉ. हरमिंदर सिंह, मंदीर सिह और जसबीर सिंह धोडी उपस्थित थे।

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संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा

सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का जीवन और उनका बलिदान मानव इतिहास की सबसे महान घटनाओं में से एक है। उन्हें “हिंद की चादर” कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर न केवल सिखों बल्कि पूरे हिंदुस्तान के लोगों की आस्था, संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की।

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जन्म और शिक्षा

गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में गुरु हरगोबिंद साहिब जी के घर हुआ। बचपन से ही वे अध्यात्म, शांति, त्याग और वीरता के शिक्षाओं से ओत-प्रोत थे। तलवारबाज़ी और घुड़सवारी में भी वे निपुण थे, इसलिए बचपन में उन्हें ‘तेग बहादुर’ नाम मिला।

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  • punjab

Published : 
  • 23 November 2025, 3:31 PM IST