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केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ प्रशासन पर कोई नया विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है। गृह मंत्रालय ने भरोसा दिलाया कि चंडीगढ़ की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा और सभी कदम संबंधित पक्षों की सहमति से ही होंगे। इससे पंजाब और हरियाणा में उठे राजनीतिक विवाद को शांत करने की उम्मीद है।
पंजाब के सीएम भगवंत मान
New Delhi: चंडीगढ़ से जुड़े विधेयक को लेकर बढ़े राजनीतिक विवाद के बीच गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ प्रशासन पर कोई नया विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का एक प्रस्ताव केवल केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है और फिलहाल किसी निर्णय के रूप में नहीं आया है।
गृह मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि इस प्रस्ताव का चंडीगढ़ की प्रशासनिक संरचना पर कोई असर नहीं पड़ेगा। न ही इसे पंजाब या हरियाणा से जुड़े किसी विवाद की दिशा में पढ़ा जाना चाहिए। मंत्रालय के अनुसार चंडीगढ़ की मौजूदा स्थिति को बदलने की किसी भी तरह की योजना नहीं बनाई गई है।
सरकार ने लोगों और संबंधित राज्यों को भरोसा दिलाया कि चंडीगढ़ से जुड़े किसी भी कदम को बिना सभी संबंधित पक्षों की सहमति के आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल यह केवल चर्चा का स्तर है, कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसलिए किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
पिछले कुछ दिनों में पंजाब की राजनीति में चंडीगढ़ को लेकर तनाव बढ़ा था। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अकाली दल सहित कई राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे कि वह चंडीगढ़ की स्थिति बदलने की कोशिश कर रही है। नेताओं का कहना था कि अगर ऐसा हुआ तो पंजाब के अधिकारों का हनन होगा।
हालांकि, गृह मंत्रालय के बयान ने राजनीतिक माहौल को कुछ हद तक शांत करने की उम्मीद जगाई है। मंत्रालय की पुष्टि के बाद पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ती तीखी प्रतिक्रिया कमजोर पड़ सकती है और चंडीगढ़ की मौजूदा स्थिति को लेकर बनी आशंकाएं खत्म हो सकती हैं।
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गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव में पारदर्शिता बनाए रखेगी और सभी संबंधित पक्षों की सहमति के आधार पर ही किसी निर्णय को आगे बढ़ाया जाएगा। फिलहाल चंडीगढ़ की मौजूदा स्थिति जस की तस बनी रहेगी और किसी भी प्रकार का बदलाव योजना में नहीं है।
केंद्रीय बयान से यह भी संकेत मिलता है कि सरकार राजनीतिक दलों और राज्यों की चिंताओं को गंभीरता से ले रही है। इससे न केवल राजनीतिक माहौल शांत होगा, बल्कि प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित नहीं होगा। मंत्रालय ने दोहराया कि चंडीगढ़ से जुड़े किसी भी कदम में सभी हितधारकों की सहमति अनिवार्य होगी।