Kingdom: ‘किंगडम’ में सस्पेंस से लेकर इमोशन तक, जानिए क्यों मिस नहीं करनी चाहिए विजय देवरकोंडा की फिल्म

अगर आप एक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो शुरू से आखिर तक आपकी दिलचस्पी बनाए रखे? एक ऐसी फिल्म जिसमें हर पल नया और रोमांचक लगे। तो विजय देवरकोंडा की फिल्म ‘किंगडम’ आपके लिए एकदम सही है।

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 31 July 2025, 5:24 PM IST
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नई दिल्ली: अगर आप एक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो शुरू से आखिर तक आपकी दिलचस्पी बनाए रखे? एक ऐसी फिल्म जिसमें हर पल नया और रोमांचक लगे। तो विजय देवरकोंडा की फिल्म 'किंगडम' आपके लिए एकदम सही है।

'किंगडम' 1990 के दशक की कहानी कहती है, जो एक ऐसे भाई पर केंद्रित है जो अपने लापता भाई को ढूंढने के लिए एक खतरनाक सफर पर निकलता है। इसमें भरपूर सस्पेंस, ड्रामा और भावनात्मक गहराई है। आइए, डायनामाइट न्यूज़ संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, 'किंगडम' को खास बनाने वाली बातों पर गौर करें।

कहानी 1990 के दशक पर आधारित है और भारत के श्रीकाकुलम से आए श्रीलंका में रहने वाले तेलुगु लोगों के एक समूह पर आधारित है। विजय देवरकोंडा द्वारा अभिनीत सूरी एक सख्त और निडर पुलिस अधिकारी है जो अपने वरिष्ठों के गलत काम करने पर उनसे भिड़ने से नहीं डरता। अपनी बहादुरी के कारण, उसे श्रीलंका में एक गुप्त मिशन दिया जाता है।

बदले में, उसे अपने बड़े भाई सत्यदेव से मिलने का मौका दिया जाता है, जो 18 साल से लापता है। सूरी जाफना जेल में घुस जाता है और अपने भाई को ढूंढ लेता है। लेकिन आगे क्या होता है? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघरों में फिल्म देखनी होगी।

फिल्म कैसी है?

'किंगडम' एक मनोरंजक फिल्म है जो आपको शुरू से अंत तक बांधे रखती है। विजय देवरकोंडा अपने किरदार सूरी में पूरी तरह से रम गए हैं, और आप सूरी को सिर्फ़ पर्दे पर ही देखेंगे। यह सिर्फ़ एक फिल्म नहीं है—यह एक ज़बरदस्त अनुभव है।

निर्देशक गौतम तिन्नानुरी ने अपनी दृष्टि से एक मौलिक और सशक्त कहानी गढ़ी है, जो 'सलार' और 'छत्रपति' जैसी फिल्मों की तरह है। फिल्म का पहला भाग इतना आकर्षक है कि आप अपनी सीट से हिलना ही नहीं चाहेंगे। हालाँकि कहानी कुछ लोगों को थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन विजय का दमदार अभिनय और बाकी कलाकार इसकी भरपाई कर देते हैं।

विजय देवरकोंडा ने फिल्म में शानदार अभिनय किया है। चाहे वह सिपाही हो या कैदी, वह हर किरदार में पूरी तरह ढल जाते हैं। उनका अभिनय इतना दमदार है कि पूरी फिल्म को वह अपने दम पर आगे बढ़ाते हैं।

खासकर नाव वाला सीन बेहद दमदार है। भाग्यश्री बोरसे ने भी कमाल का काम किया है और उनकी मौजूदगी कहानी को बखूबी सहारा देती है। विजय के साथ उनकी केमिस्ट्री ज़बरदस्त है। सूरी के बड़े भाई शिवा का किरदार निभा रहे सत्यदेव भी उतने ही प्रभावशाली हैं। वह अपने किरदार में इतनी जान डाल देते हैं कि कहानी और भी मार्मिक हो जाती है। दोनों भाइयों के बीच के भावुक दृश्य दिल को छू लेने वाले हैं। बाकी सभी किरदार भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में बेहतरीन काम करते हैं।

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