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जेएनयू चुनाव 2025 की मतगणना जारी है। लेफ्ट यूनिटी और एबीवीपी के बीच चारों पदों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। संयुक्त सचिव पद पर लेफ्ट यूनिटी के दानिश 84 वोटों से आगे हैं, जबकि अध्यक्ष पद का नतीजा आखिरी राउंड तक रोमांच बनाए हुए है।
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव 2025
New Delhi: देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र राजनीति का उत्सव अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। जेएनयू छात्रसंघ चुनाव 2025 (JNUSU Elections 2025) की मतगणना आज 6 नवंबर को जारी है और शाम तक परिणाम घोषित किए जाने की संभावना है। इस बार चुनाव में लेफ्ट यूनिटी (United Left) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
चार केंद्रीय पदों अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पर कुल 20 उम्मीदवार मैदान में हैं और हर राउंड की गिनती के साथ सियासी समीकरण बदल रहे हैं।
जेएनयू प्रशासनिक भवन के पास बने मतगणना केंद्र पर सुबह से ही चहल-पहल बढ़ गई। लेफ्ट यूनिटी और एबीवीपी दोनों गुटों के समर्थक नारेबाजी, गीतों और पोस्टरों के साथ उत्साह दिखा रहे हैं। विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस बल और विश्वविद्यालय सुरक्षा कर्मी परिसर के सभी प्रवेश द्वारों पर तैनात हैं ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
JNUSU Election Results: जेएनयू में अध्यक्ष समेत तीन पदों पर लेफ़्ट का कब्जा
ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, संयुक्त सचिव पद पर लेफ्ट यूनिटी के उम्मीदवार दानिश ने शुरुआती बढ़त बना ली है। वह अपने प्रतिद्वंदी एबीवीपी के उम्मीदवार से 84 वोटों से आगे चल रहे हैं। हालांकि अन्य पदों पर मुकाबला बेहद करीबी बना हुआ है। अध्यक्ष पद के लिए अभी भी वोटों की गिनती जारी है और परिणाम का रुख आखिरी राउंड तक जा सकता है।
अध्यक्ष पद पर इस बार सात उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुकाबला सीधे तौर पर लेफ्ट यूनिटी की अदिति मिश्रा और एबीवीपी के विकास पटेल के बीच माना जा रहा है। एनएसयूआई के विकास बिश्नोई और बापसा के राज रतन राजोरिया भी मैदान में हैं, लेकिन शुरुआती रुझानों में दोनों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर दिख रहा है। लेफ्ट यूनिटी की उम्मीदवार अदिति मिश्रा ने कहा कि जेएनयू की विचारधारा हमेशा लोकतंत्र, समानता और अभिव्यक्ति की आज़ादी की रही है। छात्र एक बार फिर प्रगतिशील राजनीति को समर्थन देंगे।
वहीं, एबीवीपी के विकास पटेल का कहना है कि जेएनयू में राष्ट्रवादी सोच को छात्र तेजी से अपना रहे हैं, और यह चुनाव एक नई दिशा तय करेगा।
उपाध्यक्ष पद पर भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां लेफ्ट यूनिटी की किझाकूट गोपिका बाबू, एनएसयूआई के शेख शाहनवाज आलम और एबीवीपी की तान्या कुमारी के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है। गोपिका बाबू को महिला छात्रों और दक्षिण भारतीय संगठनों का समर्थन मिल रहा है, जबकि एबीवीपी के पक्ष में हॉस्टल स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ता माहौल बनाने में जुटे हैं।
महासचिव पद पर भी मतगणना के रुझान दिलचस्प हैं। लेफ्ट यूनिटी और एबीवीपी के उम्मीदवारों के बीच अंतर बहुत कम है और जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ रही है, दोनों ओर से समर्थक जश्न और नारेबाजी में व्यस्त हैं। जेएनयू के छात्र राजनीति के जानकारों का कहना है कि महासचिव और संयुक्त सचिव के नतीजे यह तय करेंगे कि केंद्रीय पैनल पर किस संगठन का दबदबा रहेगा।
जेएनयू के चुनाव केवल विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं रहते, बल्कि इनका राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रभाव देखा जाता है। यहां से निकलने वाले कई पूर्व छात्र जैसे कन्हैया कुमार, शहला राशिद और नजमा आफरीन बाद में मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय भूमिकाएं निभा चुके हैं।
जेएनयू प्रशासन ने बताया कि मतगणना प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है और शाम तक सभी चार केंद्रीय पदों के परिणाम घोषित किए जाएंगे। परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। मतगणना स्थल पर मीडिया कवरेज और पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
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